- सैकड़ों की संख्या में दलित शिक्षक अपना शिक्षण कार्य समाप्त कर लखनऊ बीएसए कार्यालय पहुंचे
- आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति संयोजक मण्डल भी कार्यालय पहुंचा और बीएसए से की बात, मामला हाई कोर्ट में लम्बित होने का हवाला देकर वेतन फ्रीज व रिवर्शन की कार्यवाही पर फिलहाल विराम लगाने की मांग की
- बीएसए द्वारा दलित शिक्षकों के न्यायालय में लम्बित प्रकरण की पूरी जानकारी मांगी संघर्ष समिति ने कहा जल्द ही वकील के माध्यम से दी जायेगी जानकारी
लखनऊ, 13 अगस्त 2018: लखनऊ के सैकड़ों दलित शिक्षकों का वेतन फ्रीज किये जाने का मामला आज उस समय गर्मा गया, जब शिक्षकों को पता चला कि उनका वेतन फ्रीज किया जा रहा है। अपने शिक्षण कार्य को समाप्त करने के बाद 2ः30 बजे सैकड़ों की संख्या में शिक्षक बीएसए कार्यालय लखनऊ पहुंच गये और पूरी सूचना आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति को दी।
आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति के संयोजकगण तत्काल बीएसए कार्यालय पहुंच गये। संघर्ष समिति के संयोजक अवधेश कुमार वर्मा ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, लखनऊ से मुलाकात कर उन्हें अवगत कराया कि लखनऊ में दलित शिक्षकों का वेतन फ्रीज व रिवर्शन किये जाने के मामले में मा.उच्च न्यायालय, लखनऊ पीठ में विचाराधीन है।
उन्होंने कहा कि पूर्व बीएसए लखनऊ द्वारा रिवर्शन व वेतन फ्रीज के आदेश को गुपचुप तरीके से कोर्ट में जमा किया गया लेकिन न तो कार्यालय ज्ञाप को सार्वजनिक किया गया और न ही शिक्षकों को दिया गया। चूंकि मामला अभी भी कोर्ट में विचाराधीन है और सुनवायी चल रही है, ऐसे में जब तक मा. उच्च न्यायालय लखनऊ पीठ का अन्तिम निर्णय न आ जाये तब तक दलित शिक्षकों के वेतन फ्रीज की कार्यवाही पर रोक लगायी जाये।
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, लखनऊ द्वारा संघर्ष समिति संयोजक से मा. उच्च न्यायालय में चल रही कार्यवाही की सूचना मांगी गयी, जिस पर संघर्ष समिति द्वारा उन्हें यह आश्वस्त किया गया कि दलित शिक्षकों के वकील द्वारा शीघ्र ही पूरी जानकारी से आपको अवगत करा दिया जायेगा।
आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति,उप्र के संयोजकों रीना रजक, जितेन्द्र कुमार, प्रभु शंकर राव, श्रीनिवास राव, मंजू वर्मा, अंजली गौतम, अनीता, सुधा, रेनू, राजेश पासवान, अमित कुमार, अर्चना ने उप्र की योगी सरकार से यह मांग उठायी है कि राजधानी लखनऊ में दलित शिक्षकों के रिवर्शन व वेतन फ्रीज की कार्यवाही पर रोक लगवायी जाये। उन्होंने कहा कि यह कितना दुर्भाग्य है कि एक तरफ दलित कार्मिकों को पदोन्नति दिये जाने की बात हो रही है और वहीं दूसरी ओर राजधानी लखनऊ में उन्हें रिवर्ट किया जा रहा है, जो पूरी तरह निन्दनीय है। बारिश के बावजूद भी सैकड़ों की संख्या में शिक्षक जमा थे, जिसमें महिलाओं की संख्या काफी ज्यादा थी।