- आरक्षण समर्थकों ने कहा कि सरकार ने स्वीकार किया दलित समाज 1000 वर्ष तक वंचित रहा
- संघर्ष समिति ने 5 अगस्त को आन्दोलन कोर समिति की बुलाई बैठक, आन्दोलन की रणनीति पर होगा ऐलान
लखनऊ, 04 अगस्त 2018: आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति के समर्थकों ने केन्द्र सरकार पर हल्ला बोलते हुए कहा कि अब जब केन्द्र सरकार ने यह स्वीकार कर लिया है कि देश का दलित समाज 1000 वर्ष से वंचित रहा है और वहीं दूसरी ओर देश के करोड़ों दलित कार्मिकों को समाज की मुख्य धारा में लाने के लिये पिछले लगभग 4 वर्षों से अधिक समय से भाजपा सरकार में लोकसभा में पदोन्नति में आरक्षण संवैधानिक संशोधन 117वां बिल लम्बित रखा गया है, उस पर केन्द्र की मोदी सरकार का घ्यान कब जायेगा।
संघर्ष समिति ने कहा कि समिति आज यह भी खुलासा करना चाहती है कि जब पिछली समाजवादी पार्टी की सरकार में 2 लाख से ज्यादा दलित कार्मिकों को पदों व वरिष्ठता में रिवर्ट किया गया, उस समय भी केन्द्र में मोदी की सरकार थी। यदि पदोन्नति में आरक्षण लम्बित बिल पास कर दिया गया होता तो दलित कार्मिक रिवर्ट होने से बच जाते। देश के दलित कार्मिकों के साथ कब तक अन्याय होगा? सबसे बड़ा उदाहरण है कि मा0 सुप्रीम कोर्ट आदेश के तहत भारत सरकार द्वारा 15 जून, 2018 को पदोन्नति में आरक्षण दिये जाने का आदेश दिया गया और उप्र की सरकार ने आज तक उस पर कोई भी प्रभावी कदम नहीं उठाया, जबकि बिहार सहित अन्य राज्यों में यह व्यवस्था लागू हो गयी।
इस मौके पर आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति के संयोजकों अवधेश कुमार वर्मा, डा रामशब्द जैसवारा, अनिल कुमार, अजय कुमार, अन्जनी कुमार, रीना रजक, अनीता, अशोक सोनकर, प्रेम चन्द्र, जितेन्द्र कुमार, राजेश पासवान, श्री निवास राव, सुनील कनौजिया ने एक सयुंक्त बयान में कहा कि सरकार की मंशा सभी जानते हैं। अब पूरे प्रदेश के सभी सरकारी विभागों में जुलाई, अगस्त माह में विभागीय चयन समिति के माध्यम से पदोन्नति के अनुसार पद भरे जाने हैं, इसलिये सरकार ने जानबूझकर आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा-3(7) को बहाल ही नहीं किया।
उन्होंने कहा कि जिसके चलते एक सोची समझी रणनीति के तहत सामान्य वर्ग से सभी पदोन्नति के रिक्त पद भर लिये जायेंगे और बाद में जब दलित कार्मिकों को न्याय देने की बात आयेगी तो कहा जायेगा कि अभी कोई पद रिक्त नहीं है। संघर्ष समिति ने केन्द्र की मोदी सरकार से मांग उठायी कि अविलम्ब पदोन्नति में आरक्षण का बिल पास कराया जाये, अन्यथा की स्थिति में पूरे देश के करोड़ों दलित कार्मिकों को आन्दोलन करने के सिवाय कोई रास्ता नहीं होगा। संघर्ष समिति ने पूरे मामले पर कल दिनांक 5-8-18 को आन्दोलन कोर समिति की बैठक बुलायी है, जिसमें आगे की रणनीति तय की जायेगी।