- उत्पादन लागत में कमी का लाभ प्रदेश के उपभोक्ताओं को दिलाने के लिये उपभोक्ता परिषद की थी आयोग में याचिका दायर
- आयोग ने कार्पोरेशन के अधिकारियों को पूरा जवाब न लाने के लिये फटकारते हुये आयोग में एक ही दिन में दो बार किया तलब और दो बाद चली सुनवाई फिर भी कार्पोरेशन नहीं दे पाया सूचना
- आयोग ने बिजली दरों में कमी याचिका पर पुनः 11 सितम्बर को लगाई सुनवाई और कार्पोरेशन को 3 दिन में जवाब दाखिल करने का दिया निर्देश
लखनऊ, 04 सितम्बर 2018: राज्य विद्युत उत्पादन निगम की उत्पादन लागत में 54 पैसे प्रति यूनिट की कमी के चलते लगभग 1700 करोड़ रू. के फायदे का लाभ उप्र की जनता की दिलाने हेतु उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद द्वारा दाखिल याचिका पर सूओ मोटो कार्यवाही के तहत आज उप्र विद्युत नियामक आयोग अध्यक्ष आरपी सिंह व सदस्य एसके अग्रवाल व सदस्य केके शर्मा की उपस्थित में प्रातः 11.30 बजे सुनवाई सम्पन्न हुई, जिसमें पावर कर्पोरेशन के निदेशक वाणिज्य उत्पादन निगम के निदेशक (तकनीकी) सहित दर्जनों अभियन्ता व उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा उपस्थित थे।
आयोग अध्यक्ष द्वारा कार्पोरेशन की कड़ी फटकार इस बात के लिये लगाई गयी कि पावर कार्पोरेशन द्वारा महंगी बिजली खरीदने की बात तो कही गयी लेकिन उससे सम्बन्धित सत्यापित आकड़े आयोग के सामने नहीं प्रस्तुत किया जा सका। जिस पर सभी डाटा आयोग द्वारा तलब करते हुये पुन 3.30 बजे सुनवाई बुलाई गयी और कार्पोरेशन को सभी सूचना के साथ तलब किया गया। उसके बावजूद भी पावर कार्पोरेशन महंगी बिजली खरीद के आकड़े नहीं दे सका। उसके बाद आयोग ने पुनः शाम को सुनवाई के उपरान्त आगे 11 सितम्बर को अगली सुनवाई तिथि तय की है।
सुनवाई शुरू होते ही आयोग द्वारा उपभोक्ता परिषद को अपनी बात रखने हेतु कहा गया जिस पर उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने अपनी बात रखते हुये कहा प्रदेश का उत्पादन निगम लगभग 2000 करोड़ की बचत कर चुका है लेकिन उसका लाभ पावर कार्पोरेशन को नहीं देना चाह रहा है। ऐसे में आयोग को टैरिफ में कमी कर उसका लाभ प्रदेश के उपभोक्ताओं को दिलाना चाहिये जिस प्रकार से उप्र राज्य विद्युत उत्पादन निगम ने अपने पैरा मीटर की दक्षता बढ़ाकर कोयले तेल व ओएनडम खर्च में कमी कर बड़ा लाभ कमाया यही पैरा मीटर अब निजी घराने रिलायन्स की रोजा, बजाज ग्रुप की सभी उत्पादन गृहों पर सेट करना चाहिये। जिससे उसका लाभ प्रदेश की जनता को मिल पाये।
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने आयोग के सामने यह बात रखी कि महोदय पावर कार्पोरेशन आयोग को गुमराह कर रहा है विगत सप्ताह उप्र की विधान सभा में प्रदेश के ऊर्जा मंत्री द्वारा एक सवाल के जवाब में यह स्वीकार किया गया है कि वर्ष 2016-17 के अपेक्षा वर्ष 2017-18 में बिजली उत्पादन की कास्ट में 31 पैसे प्रतियूनिट की कमी आयी है अब उसका लाभ प्रदेश की जनता को जब देने की बात आई तो कार्पोरेशन कह रहा है महंगी बिजली खरीदा जो अपने आप में गम्भीर मामला है। वर्ष 2016-17 में जहां बिजली उत्पादन की कुल औसत खरीद दर आयोग द्वारा रू0 3.80 प्रतियूनिट अनुमोदित थी वहीं वर्ष 2017-18 में औसत खरीद लागत रू0 3.87 प्रतियूनिट अनुमोदित थी।
उसके बात पावर कार्पोरेशन की ओर से तर्क रखते हुये कहा गया कि उत्पादन निगम के अलावा अन्य उत्पादन गृहों की दरों में बढ़ोत्तरी हुई है जिससे दरों में कमी करना उचित नहीं होगा, उस पर आयोग अध्यक्ष ने आड़े हाथों लेते हुये किस-किस उत्पादन गृह की दरों में बढ़ोत्तरी हुई उसे पावर कार्पोरेशन शपथ पत्र के साथ पेश करे। जिस पर पावर कार्पोरेशन के लोग बगले झांकने लगे आयोग अध्यक्ष ने कड़ी फटकार लगाते हुये कहा कि पुनः सुनवाई 3 बजे फिर होगी पावर कार्पोरेशन के सभी अधिकारी सभी डाटा लेकर उपस्थित हों फिर भी कार्पोरेशन नही दे सका जवाब।