कहा: पदोन्नति में आरक्षण बिल अविलम्ब करो पास और 200 प्वाइन्ट अविलम्ब करो बहाल
लखनऊ, 10 फरवरी 2019: आरक्षण समर्थकों का गुस्सा आज केन्द्र सरकार व यूपी की योगी सरकार के खिलाफ जमकर फूटा। आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक अवधेश कुमार वर्मा के नेतृत्व में आरक्षण समर्थकों द्वारा निकाले गये आरक्षण बचाओ विशाल पैदल मार्च का मुख्य मुद्दा था कि पदोन्नति में आरक्षण का संवैधानिक 117वां बिल लोकसभा में जो लगभग 5 वर्षों से लम्बित उसे अविलम्ब पास कराया जाये और साथ ही केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में दलित व पिछड़ों का संवैधानिक हक बना रहे इसलिये केन्द्र की मोदी सरकार अविलम्ब 200 प्वाइन्ट के रोस्टर की पुरानी व्यवस्था को बहाल करे।
बता दें कि पैदल मार्च प्रातः 8 बजे अम्बेडकर स्मारक गेट से शुरू होकर ताज होटल के सामने से होते हुए समता मूलक चौराहा से पुनः अम्बेडक स्मारक होते हुए सहारा शहर के गेट से लगभग 5 किलोमीटर चलकर पुनः अम्बेडकर स्मारक के मेन गेट पर बाबा साहब के चरणों में सर झुकाते हुए समर्थकों ने अपना मार्च समाप्त किया।
अवधेश कुमार वर्मा द्वारा हजारों की संख्या में आरक्षण समर्थकों के बीच 3 प्रस्ताव रखे। जिसे समर्थकों ने सर्वसम्मति से पारित किया। पहला प्रस्ताव केन्द्र की मोदी सरकार अविलम्ब पदोन्नति में आरक्षण का बिल पास कराये। दूसरा प्रस्ताव 200 प्वाइन्ट रोस्टर की व्यवस्था को अविलम्ब बहाल किया जाये और एक महत्वपूर्ण अन्तिम प्रस्ताव यह पारित किया गया कि बहुजन समाज की विरासत प्रदेश के अम्बेडकर स्मारकों की मूर्तियों को बचाने के लिये प्रदेश का 8 लाख आरक्षण समर्थक कार्मिक हर कुर्बानी देने के लिये तैयार है और जरूरत पड़ी तो सभी कार्मिक एक माह का वेतन देकर अपनी विरासत की रक्षा करेंगे।
उन्होंने कहा कि किसी भी हालत में अपनी विरासत में कोई भी छेड़छाड बर्दाश्त नहीं करेंगे। जहां आज के पैदल मार्च में कार्मिकों, बुद्धिजीवियों, प्रोफेसरों, छात्रों, इंजीनियरों का उत्साह देखते बना वहीं हजारों आरक्षण समर्थकों ने अपने संवैधानिक हक पर हो रहे कुठाराघात को लेकर केन्द्र की मोदी व उप्र की योगी सरकार को दलित विरोधी करार देते हुए आर-पार की लड़ाई लड़ने का ऐलान कर दिया है और कहा अब यह मार्च हर जिले में मिशन 2019 के तहत आरक्षण समर्थक सरकार बनाने तक जारी रहेगा।
पैदल मार्च में शामिल संघर्ष समिति के संयोजकों में अवधेश कुमार वर्मा, केबी राम, डा रामशब्द जैसवारा, अनिल कुमार, अजय कुमार, श्याम लाल, अन्जनी कुमार, एसपी सिंह, प्रेमलता, लेखराम, रीना रजक, दिग्विजय सिंह, राजकरन, राजेश, मायाराम वर्मा, ब्रहदृत्त वर्मा, बनी सिंह, प्रेम चन्द्र, अशोक सोनकर, दिनेश कुमार, अजय चौधरी, रेनू, जितेन्द्र, श्रीनिवास, अंजली, सुधा गौतम, मंजू वर्मा,शिवदेवी, सुशील कुमार, चमन, योगेन्द्र, अनीता, रामेन्द्र कुमार, अरविन्द फरसोवाल, सुनील कनौजिया, शिवराम, राधा किशन राव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद उप्र की सरकार ने अभी तक लगभग 2 लाख दलित कार्मिकों का रिवर्शन वापस नहीं लिया, जिससे यह सिद्ध होता है कि उप्र की सरकार को दलित कार्मिकों से कोई लेना देना नहीं है। जिससे पूरे प्रदेश के दलित कार्मिकों में भारी गुस्सा है।
समय रहते यदि प्रदेश की सरकार ने दलित कार्मिकों के साथ न्याय न किया तो यह आन्दोलन व्यापक रूप लेगा और अब लाखों दलित कार्मिक जल्द ही दिल्ली में डेरा डालकर अपने अधिकारों की सुरक्षा के लिये करो मरो की तर्ज पर आन्दोलन करने के लिये बाध्य होंगे। आज के पैदल मार्च में अम्बेडकर विश्वविद्यालय के छात्र नेताओं अजय कुमार, बसन्त कनौजिया, प्रतीक गौतम के नेतृत्व में सैकड़ों छात्र मार्च में शामिल हुए वहीं दलित छात्रावासों के छात्र कमलेश कुमार के नेतृत्व में मार्च में शामिल हुए।