नई दिल्ली, 06 अप्रैल। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान इसरो द्वारा हाल ही में लॉन्च की गई सैटेलाइट जीसैट-6ए का संपर्क वैज्ञानिकों से टूट गया है। इसके बावजूद इसरो अपनी दूसरी नेविगेशन सैटेलाइट आईआरएनएसएस-1एल को 12 अप्रैल को लॉन्च करने वाला है। इसरो के अध्यक्ष डॉक्टर के सिवान का कहना है कि जीसैट-6ए के साथ संपर्क टूटने का प्रभाव आईआरएनएसएस-1एल के लॉन्च पर नहीं पड़ेगा।
इसरो की एक टीम जहां जीसैट से दोबारा संपर्क साधने की कोशिश कर रही है वहीं दूसरी टीम नेविगेशन सैटेलाइट को लॉन्च करने की तैयारियों में लगी हुई है। आईआरएनएसएस-1एल को श्रीहरिकोटा से पीएसएल्वी-सी41 के जरिए लॉन्च किया जाएगा। यह बेकार हो चुकी नेविगेशन सैटेलाइट आईआरएनएसएस-1ए की जगह लेगी। आईआरएनएसएस-1ए जिसे की लोकेशन डाटा प्राप्त करने के लिए लॉन्च किया था। वह दो साल पहले ही काम करना बंद कर चुकी है। आईआरएनएसएस-1एल का वजन 600 किलो है और इसकी आयु 10 साल होगी। यह भारतीय नेविगेशन की आठवीं सैटेलाइट है। पिछले साल 31 अगस्त को भी इसरो ने बेकार सैटेलाइट की जगह आईआरएनएसएस-1एच को लॉन्च करने की कोशिश की थी लेकिन ऐसा नहीं हो पाया था।
गौरतलब है कि लॉन्च होने के 48 घंटे बाद ही वैज्ञानिकों का जीसैट-6ए से संपर्क टूट गया था। इसे भारत की अब तक की सबसे बड़ी कम्युनिकेशन सैटेलाइट माना जा रहा था। जिसमें मिलिट्री एप्लीकेशन लगे थे। इस सैटेलाइट में तकनीकी खराबी होने की खबरें सामने आई थीं। सैटेलाइट का संपर्क टूटने की वजह से इसे भारतीय सेना के साथ ही वैज्ञानिकों के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। इस सैटेलाइट को भारतीय सेना के लिए संचार की सुविधाओं को मजबूत बनाने के लिए श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपण किया गया था। हालांकि इसरो का कहना है कि सैटेलाइट से दोबारा संपर्क साधने के लिए प्रयास जारी हैं।