लखनऊ, 14 सितंबर। बलरामपुर गार्डन, अशोक मार्ग पर 4 सितंबर से शुरू हुआ 22वां राष्ट्रीय पुस्तक मेला सवा करोड़ रुपये की पुस्तक बिक्री के साथ रविवार को समाप्त हुआ। मेले के अंतिम दिन सर्वाधिक भीड़ रही। पुस्तक प्रेमी दिव्यरंजन ने इसे अब तक का सबसे खूबसूरत मेला बताया। संयोजक मनोज सिंह चंदेल ने बताया कि मेले में लगभग सवा करोड़ रुपये की पुस्तकें बिकीं।
प्रकाशकों और सहयोगियों का सम्मान
समापन समारोह में राजपाल एंड संस, राजकमल, लोकभारती, वाणी, सामयिक, भारतीय ज्ञानपीठ, प्रभात, सस्ता साहित्य मण्डल, गौतम बुक, रितेश बुक, हिंदी वांग्मय निधि, याशिका, प्रकाशन संस्थान, शुभि प्रकाशन, दिव्यांश, सेतु प्रकाशन, अदित्रि, विधि बुक आदि प्रकाशकों व ज्योति किरन, यूपी त्रिपाठी जैसे सहयोगियों को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया। निदेशक आकर्ष चंदेल ने आभार व्यक्त किया।
साहित्यिक विभूतियों को श्रद्धांजलि
मेला समिति ने स्मरणांजलि कार्यक्रम में हाल ही में दिवंगत साहित्यकार शम्भू नाथ, व्यंग्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी, स्वतंत्र भारत के पूर्व संपादक अनूप श्रीवास्तव और पत्रकार डॉ. के. विक्रम राव को याद किया। पद्मश्री डॉ. विद्या विंदु सिंह की अध्यक्षता और डॉ. अमिता दुबे के संचालन में डॉ. सुधाकर अदीब, डीएन लाल, सूर्यकुमार पांडेय, आलोक शुक्ला, आदि ने उनके योगदान पर प्रकाश डाला। डॉ. राव के पत्रकारिता और साहित्यिक सफर पर के. विश्वदेव राव और रजत मिश्रा के संयोजन में अभिनेता अनिल रस्तोगी, सूचना आयुक्त दिलीप अग्निहोत्री, पीएन द्विवेदी आदि ने विचार रखे।
साहित्यिक चर्चा और काव्य पाठ
मेला मंच पर वाणी प्रकाशन द्वारा चन्द्रशेखर वर्मा के गजल संग्रह घट रही है रोज मेरी चेहरगी पर चर्चा हुई। वरिष्ठ साहित्यकार उदय प्रताप सिंह ने उन्हें संवेदनशील रचनाकार बताया। आरजे प्रतीक के संचालन में चन्द्रशेखर ने अपनी रचनाएं सुनाईं। युवा नृत्यांगना स्नेहा रस्तोगी ने भरतनाट्यम और लोकनृत्य की प्रस्तुति दी। सुबह लक्ष्य साहित्यिक संस्था के आयोजन में श्याम मिश्र की अध्यक्षता में सोहेल बरेलवी की पुस्तक पर चर्चा हुई।
कुंवर कुशमेश, सरोज पाण्डेय, मनोज बाजपेई, बबर बैसवारी आदि ने काव्य पाठ किया। साहित्यकार संसद और नमन प्रकाशन के समारोह में ओपी मिश्र की अध्यक्षता में रामप्रकाश बेखुद, सरवत जमाल, संजय मिश्रा शौक आदि ने काव्य सरिता बहाई। शाम को अपूर्वा संस्था के कार्यक्रम में संजय हमनवां ने कमल किशोर भावुक को राजेश विद्रोही सम्मान से अलंकृत किया।
रवींद्र अजनबी, योगेन्द्र योगी, प्रतिभा गुप्ता, कीर्ति वानी आदि ने काव्य रस बरसाया। मेला साहित्य, संस्कृति और पुस्तक प्रेमियों के लिए यादगार रहा और अगले वर्ष फिर मिलने का वादा लेकर सम्पन्न हुआ।