अच्छी पहल, घर-घर जाकर देते हैं घरौंदा
शहरी वातावरण को स्वच्छ एवं आम पंछियो के लिए अनुकूल बनाने हेतु प्रति वर्ष 20 मार्च को ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ मनाने की परम्परा 2010 से प्रारम्भ हुई, जिसका उद्देश्य गौरैया के प्रति संरक्षण के लिए ध्यान आकर्षित करना है।
अर्चना फाउंडेशन के ट्रस्टी एवं पर्यावरण प्रेमी समाजसेवी हिमांशु कुमार सिंह द्वारा रविवार से पंछी अभियान का प्रारम्भ सदर विधायक शलभ मनी त्रिपाठी को मिट्टी से बना घरौंदा देकर शुरुआत की। इस अपील के साथ कि इसे छत के वरजे पर टांग कर रोज थोड़ा सा दाना और थोड़ा सा पानी अवश्य रखे, ताकि चिलचिलाती धुप मे नन्ही गौरैया को थोड़ा सकून मिल सके और इस ढंग से उनका रोजाना आने का क्रम चालू हो जायेगा।
विधायक शलभ मणि त्रिपाठी ने कहा कि अंधाधुंध विकास के दौड़ मे हम अपने पर्यावरण को दूषित कर रहें है और आने वाली पीढ़ी हमें कोसेगी. क्योंकि तब कुछ भी स्वच्छ नही मिलेगा, हिमांशु का यह भगीरथ प्रयास एवं प्रयोग सराहनीय है। यदि कुछ लोग भी इसका पालन करने लगेंगे तो विलुप्त गौरैया और अन्य छोटी चिड़ियों को बचाया जा सकता है।
बता दे कि हिमांशु सिंह पिछले पांच वर्षों से इस अभियान को चला रहें हैं। हिमांशु ने बताया कि पानी और दाने बिना तथा मोबाइल टावर से निकली तरंगे नन्ही गौरैया की जान की दुश्मन बन गई, जिस प्रकार मानव शरीर मे प्रयोग किया जाने वाला डिलोफेनाक गिद्ध प्रजाति को लुप्त कर देता है, उसी प्रकार एक दिन गौरया भी पृथ्वी से लुप्त हो जायेंगी। हिमांशु सिंह पिछले कई वर्षों से कभी सकोरा, कभी खाली कनस्तर से अनोखे रूप से बने आशियाना तो कभी मिट्टी से बना घरौंदा अपने खर्च से लोगों के घर जाकर देते है और अपील करते है कि वो रोज थोड़ा सा दाना और थोड़ा सा पानी अवश्य निकाले ताकि गौरया को बचाया जा सके। 2010 मे नेचर फॉर एवर सोसाइटी द्वारा एवं नाशिक निवासी मोहम्मद दिलावर द्वारा इसकी शुरुआत की गई थी।