पहले और अब की
शादियों का अन्तर
पूरी तरह शुक्रियादा है
मेंहदी है, संगीत है,
तिलक है, बारात है,
रोशनी है, आतिशबाजी है,
बैंड बाजा है, लाइट है,
डी.जे. है, कैटरर है, स्टॉल है,
सब कुछ तो है …पर
जनवास नहीं है,
पंगत नहीं है,
पत्तल नहीं है,
पियरी पहने समधी नहीं हैं,
गालियों के गीत गातीं समधिनें नहीं हैं
दूल्हा शेरवानी में है
सबकी फोटोग्राफी है
प्रेम नहीं है, प्यार नहीं है,
कोई मनुहार नहीं है,
नाई का न्योता नहीं है
व्हाट्सएप पर निमंत्रण है
सारे पंडाल एक जैसे हैं
आप कहीं भी खाकर आ सकते हैं
न मेजबान का पता है
न मेहमान की खबर है
न कोई आपको पहचानता है,
न आप किसी को जानते हैं
नाच लीजिए…
घूमते बेयरों के हाथ से…
कुछ ले लीजिए …
बारात आयी नहीं है
वरमाला हुई नहीं है
बस आपको रुपैया का लिफाफा
किसी को थमाकर निकल जाना है
क्योंकि अभी तीन जगह और जाना है
यही तो आज का जमाना है
जेब नम है
संगीत मद्धम है
खाने में कहां दम है
हम आ गये,
यह क्या कम है
अरे भाई, आजकल की शादी का
यही तो माहौल है!
- गौरव मिश्रा