एक बार की बात है दीनापुर गांव में एक सेठ थे। उन्होंने एक नौकर रखा। उस नौकर ने शुरू में बहुत अच्छा काम किया लेकिन बाद में वह लापरवाह हो गया। काम पर देर से आता और बहुत से कामों को वह बीच में ही छोड़ देता। नौकर के घर में 3 लोग थे जिसमे उसकी स्त्री और 16 -17 वर्ष की जवान लड़की थी। उसकी स्त्री बड़ी समझदार थी। वह अपने पति की हरकतें देखती तो उसे समझा कर कहती। ‘देखो तुम्हारे ऊपर इतनी जिम्मेदारी है काम से जी चुराना अच्छा नहीं। किसी दिन मालिक ने निकाल दिया है तो हम सब परेशानी में पड़ जाएंगे।’ आदमी उसकी बात अनसुनी कर देता।
एक दिन वह काम पर से बड़ा खुश होकर लौटा, बोला: तुम मुझसे रोज कही अनकही कहां करती थी। मालिक नौकर से नौकरी से निकाल देगा तो बड़ी परेशानी हो जाएगी, लो मालिक ने आज मुझसे कहा कि मैं तुम्हारे काम से बहुत खुश हूं बड़ा अच्छा काम करते हो! मैं तुम्हारी 10 रूपए महीने की तरक्की करता हूं। स्त्री ने यह सब सुना, पर उसकी समझ में नहीं आया। उसने पति से पूछा मालिक ने और क्या कहा: ‘नौकर बोला उसने कहा- आज तुम्हारी लड़की छाछ लेने आई थी। अरे! हमारे यहां तो छाछ हुआ ही करती है। उसे रोज भेज दिया करो।
गंभीर होकर स्त्री गयी, सारा माजरा क्या है? उसने कहा अब तुम इस सेठ के यहां एक दिन भी काम नहीं करोगे। क्यों? आदमी ने विस्मय से पूछा- स्त्री बोली तुम कुछ नहीं समझते हो! सेठ की निगाह अब तुम्हारे काम पर नहीं हमारी बेटी पर है! हम भूखे मर जाएंगे पर अपनी आबरू पर आंच नहीं आने देंगे। आदमी ने भी अंदर की बात समझी और उसी दिन से सेठ की नौकरी छोड़ दी।