डॉ दिलीप अग्निहोत्री
प्रयागराज कुंभ में करीब बाइस करोड़ लोग स्नान कर चुके है। इनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम भी शामिल हुआ। इस बार कुंभ की तैयारियों में अनेक अद्भुत दृश्य देखने को मिले, मोदी की कुंभ तीर्थयात्रा अविस्मरणीय बन गई। पहली बार किसी प्रधानमंत्री ने यहां सफाईकर्मियों के पांव पखारे, पहली बार यह सफाईकर्मियों का सम्मेलन हुआ, जिसमें मोदी ने उनका सम्मान किया। साढ़े चार सौ वर्षों में पहली बार कुंभ इलाहाबाद में नहीं प्रयागराज में हुआ, इतने ही लंबे समय बाद तीर्थयात्रियों को अक्षयवट के दर्शन का सौभाग्य मिला। पहली बार किसी प्रधानमंत्री ने यहां अपना संबोद्धन और समारोप जय गंगा मैया,जय यमुना मैय्या, जय सरस्वती मैय्या के जयघोष से किया।
पिछली बार वह कुंभ की तैयारियां देखने यहां आए थे। स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री चाहते थे कि कुंभ पूरी गरिमा के साथ सम्पन्न हो। उस समय उन्होंने अक्षयवट के दर्शन किये थे। इस बार कुंभ स्नान किया। ग्यारह बार संगम में डुबकी लगाई। रुद्राक्ष की माला से मंत्रजाप किया। वह परमभक्त के रूप में थे। प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने सभा को सम्बोधित किया। समाज सुधारक के रूप में उन्होंने समरसता का सन्देश दिया। तीनों रूप में उन्होंने जनमानस को प्रभावित किया।
यह भी प्रमाणित हुआ कि मोदी देश के अन्य राजनेताओं से अलग है। इसके पहले मोदी डॉ भीमराव रामजी आंबेडकर से सम्बंधित पांच स्थानों पर स्मारक की कल्पना को साकार किया था। ये सभी दशकों से लंबित थे। नई दिल्ली में तो डॉ आंबेडकर केंद्र का शिलान्यास तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था। यूपीए सरकार ने उस पर कोई कार्य नहीं किया। बसपा उस सरकार को बाहर से समर्थन दे रही थी। लेकिन उसने भी इसके लिए मांग या शर्त नहीं लगाई। ये सभी कार्य नरेंद्र मोदी के प्रयासों से संभव हुए।
प्रयागराज धर्म नगरी रही है। साधना की भूमि रही है। इसमें कर्मयोगी भी अपनी भूमिका का निर्वाह करते रहे है। यहां कार्य करने वालो को मोदी ने कर्मयोगी नाम से संबोधित किया। उन्होंने इन्हीं कर्मयोगियों का सम्मान किया। जिन्होंने मेले की व्यवस्था करने का कार्य किया। सफाईकर्मी भी साधुवाद के अधिकारी है। इनके कारण यहां की सफाई विश्व मे चर्चा का विषय बन गई। दिव्य कुंभ को स्वस्थ कुम्भ बनाने में सफाई कर्मियों का योगदान सराहनीय है।
महात्मा गांधी ने सौ वर्ष पहले स्वस्थ कुंभ की इच्छा व्यक्त की थी। आज उनका सपना साकार हुआ है। कुंभ में मां गंगा के स्वच्छ जल की चर्चा है। दशकों बाद ऐसी निर्मलता हुई है। इसमें नमामि गंगे योजना अभियान का भी योगदान है। प्रयागराज में अनेक नालों को गंगा में गिरने से रोका गया। मोदीं ने दक्षिण कोरिया में मिली धनराशि नमामि गंगे योजना को समर्पित कर दिया। मोदी ने बताया कि प्रधानमंत्री के रूप में उन्हें जितने उपहार मिले उनकी नीलामी की गई। उससे मिली धनराशि भी नमामि गंगे योजना को समर्पित कर दिया।
कर्मयोगियों ने मेले की व्यवस्था करने का कार्य किया।
सफाईकर्मी भी साधुवाद के अधिकारी है। इनके कारण यहां की सफाई विश्व मे चर्चा का विषय बन गई। दिव्य कुंभ को स्वस्थ कुम्भ बनाने में सफाई कर्मियों का योगदान सराहनीय है। ऐसे ही कर्मयोगियों में नाविक भी शामिल है। वह अपने को गंगा पुत्र और भगवान राम के सेवक बताते है। मोदी ने कहा कि वह भी आप के प्रधानसेवक है, वह भी मां गंगा के बुलावे पर राष्ट्रसेवा में लगे है। कुंभ की अवधि में पूरा महानगर कुंभमय हो जाता है। पहले प्रत्येक कुंभ में अस्थाई व्यवस्था होती थी।
इसबार स्थायी ढांचागत निर्माण को वरीयता दी गई। लंबे समय तक इनका लाभ प्रयागराज आने वाले तीर्थयात्रियों को इनकी सुविधा प्राप्त होगी। प्रयागराज कुंभ की भव्य तैयारियों ने एक नजीर बनाई है। देश में कहीं भी ऐसे आयोजन होंगे, तब इस तैयारी से प्रेरणा मिलेगी। स्पष्ट है कि नरेंद्र मोदी की कुंभ तीर्थयात्रा अविस्मरणीय और अभूतपूर्व प्रमाणित हुई। इसमें संदेह नहीं कि नरेंद्र मोदी केवल शासन में सुधार नहीं चाहते। वह भारतीय समाज की व्यवस्था में भी सकारात्मक सुधार चाहते है। इसके लिए वह लगातार प्रयास भी कर रहे है। नरेंद्र मोदी ने केवल सामाजिक समरसता का सन्देश नहीं दिया, बल्कि स्वछता और स्वास्थ्य का भी सन्देश दिया।
इसके पहले सुबह मोदी ने मन की बात में प्रयागराज कुंभ की चर्चा की थी। अपराह्न वह कुंभ में पहुंच गए। स्नान ध्यान उनका निजी विषय था। लेकिन अन्य पहलू समाज से जुड़े थे। स्वछता पर मोदी शुरू से जोर दिया है। मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार स्वछता से बीमारियां कम होती है। अनेक बीमारियां मच्छरों से कारण होती है। लोग पानी जमा न होने दें, सफाई रखें, तो इससे बचाव हो सकता है। इसके अलावा यह महात्मा गांधी का शताब्दी वर्ष है। गांधी जी भी स्वच्छता को अत्यधिक महत्त्व देते थे। विकसित देशों में भी स्वछता पर बहुत जोर रहता है। इससे उनके पर्यटन को भी लाभ मिलता है। भारत भी यह लाभ उठा सकता है।