जीएसटी लागू होने के बाद सबसे ज्यादा छोटे और मझोले उद्योगों पर एक नए तरह का संकट आ गया था। तब से ही इनकी परेशानियां दूर करने की मांग उठने लगी थी। विपक्षी पार्टियों ने भी इस मुद्दे पर सरकार को करना शुरू कर दिया था। वैसे भी जीएसटी लागू होने के बाद से अभी तक इसकी दरों की लगातार समीक्षा होती रही है, अब सरकार ने भी इन उद्योगों की दिक्कत समझते हुए उद्योगों के न्यूनतम आय सीमा बढ़ाने का फैसला किया है।
अब यह सीमा नए संशोधन में 40 लाख रुपये कर दी गई है। अभी तक उद्योगों की यह न्यूनतम सीमा 20 लाख ही थी। निश्चित रूप से छोटे और मझोले उद्योगों के लिए यह राहत की ही बात होगी।
प्रधानमंत्री ने कहा है कि उन्होंने जीएसटी परिषद को मध्य वर्ग के लिए बनने वाले भवनों पर लगने वाले कर की एक दर वर्तमान 12% से घटाकर 5% करने का सुझाव दिया है। यह फैसला भी जल्दी आने की उम्मीद की जा रही है। इस वर्ग की दिक्कत दूर करने को लेकर सरकार के गंभीर होने का अंदाजा तभी लग गया था, जब पिछले महीने ही सरकार ने छोटे उद्योगों और उद्यमियों के लिए एक करोड़ रुपए तक कर्ज बिना शर्त देने का ऐलान किया था।
सच तो यह है कि जब से जीएसटी लागू हुई तभी से इसे लेकर सबसे ज्यादा असंतोष छोटे और मझोले उद्यमियों में दिखने लगा था। उनका कहना था कि इससे उनका कारोबार चौपट हो गया था। अब जब उन्हें बिना शर्त कर्ज मिल सकेगा और उनकी न्यूनतम आय 40 लाख हो जाएगी तो इस वर्ग को काफी राहत मिलेगी और भी अपना चौपट काम- धंधा नए सिरे से आगे बढ़ा सकेंगे।
वैसे भी जिस तरह जीएसटी लागू करने में जल्दबाजी सामने आई थी इसमें काफी सुधार की कोशिशें सामने आ रही हैं अब जीएसटी लागू होने के बाद से कई वस्तुओं की दरों में कमी की जा चुकी है। छोटे और मझोले कारोबार से जुडी ज्यादातर वस्तुएं अब तार्किक कर दरों पर हैं। लगातार समीक्षा के बाद जिन कई वस्तुओं पर काफी ऊंची थी। उन्हें नीचे लाया जा चुका है अब रोजमर्रा से जुडी जीएसटी कि दर 18 फीसदी नीचे ही हैं जाहिर है कि आज इन परिवर्तनों की परेशानी दूर हो सकेगी और राहत का एहसास कर सकेंगे।