अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और इस बार फिर राष्ट्रपति पद के लिए रिपब्लिकन पार्टी उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप की हत्या के प्रयास की घटना अपने आप में काफी गंभीर है और इससे कई सवाल उठते हैं। हालांकि ट्रंप खुद विवादों से घिरे व्यक्ति हैं लेकिन पार्टी नॉमिनेशन के चुनाव में जीतने से साफ है कि लोगों में उनकी स्वीकार्यता कम नहीं हुई है। उन पर गोली चलाने वाला युवक भी रिपब्लिकन पार्टी का सदस्य था।
ट्रंप पर गोली चलाने का कारण तो अभी सामने नहीं आया है पर यह जरूर साफ हो गया है कि गोली चलाने वाला 20 वर्षीय स्नातक थॉमस क्रूक्स आपराधिक मानसिकता से बुरी तरह ग्रस्त था। उसने अत्याधुनिक राइफल का प्रयोग किया व उसके घर से भी बम बनाने का सामान मिला है।
इस गोलीकांड के साथ शनिवार रात ही अमेरिका के दो अलग- अलग स्थानों पर भी गोलीबारी की घटनाएं हुईं जिनमें सात लोगों की मौत हो गई। इन घटनाओं से लगता है कि अमेरिका में ‘गन कल्चर’ एक बार फिर अपना कहर बरपा रहा है। करीब चार साल पहले भी इसी तरह की घटनाओं में वहां कई लोग मारे जा चुके हैं। खास बात यह कि ऐसी वारदातें करने में किशोर-युवा वर्ग भी शामिल रहा है। अमेरिका एक सभ्य और सुसंस्कृत देश होने का दावा तो करता है। लेकिन हिंसा की संस्कृति से वह बुरी तरह प्रभावित है।
इसका बड़ा कारण यह है कि वहां बंदूकों की खरीद-फरोख्त पर कोई नियंत्रण और कड़े कदम नहीं हैं जिससे हिंसक मनोवृत्ति से ग्रस्त किशोर और युवा भी इन्हें आसानी से खरीद लेते हैं और कभी-कभी तो शौक पूरा करने के लिए ही हत्या की घटनाओं को अंजाम देते हैं। इस हथियारों की इस फ्री खरीद को रोकने के लिए कुछ कड़े कदम उठाने और कानून बनाने की कोशिशें की तो गईं पर विरोध के कारण उन्हें अमल में नहीं लाया जा सका।
दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और सतर्क सुरक्षा के लिए अत्याधुनिक उपकरणों से लैस ट्रंप पर हमले की घटना काफी गंभीर है। बंदूक और गोलियों की शौकीन इस जमात पर अगर काबू नहीं पाया गया तो अमेरिका में इस तरह के गोलीकांड और तेजी के साथ बढ़ सकते हैं।