ज़रा याद करों कुर्बानी: गाँधी जयंती 2 अक्टूबर पर खास एक संस्मरण:
एक बार एक अंग्रेज ने महात्मा गाँधी को एक गालियों भरा पत्र लिखा। गाँधी जी ने पत्र पढ़ा और रद्दी की टोकरी में डाल दिया। उसमे लगी आलपीन निकालकर सुरक्षित रख ली।
एक दिन वह अंग्रेज गाँधीजी से प्रत्यक्ष मिलने आया। आते ही उसने पूंछा, “महात्मा जी! आपने मेरा पत्र पढ़ा या नही?


महात्मा जी बोले, “बडे ध्यान से एक-एक शब्द पढ़ा। उसने फिर पूछा, “क्या सार निकाला आपने?
गाँधी जी ने कहा, “एक आलपिन निकला है। बस। उस पत्र में इतना ही सार था। जो सार था उसे रख लिया। जो असार था उसे रद्दी में फेंक दिया। इस घटना के बाद वह अंग्रेज गाँधी जी का प्रशंसक बन गया।