साल 2018 का सबसे पहला चंद्रग्रहण 31 जनवरी को दिखाई देगा, इस वर्ष का पहला ग्रहण माघ माह की पूर्णिमा के दिन दिखाई देगा, इस चंद्रग्रहण की अवधि करीब 3 घंटे 07 मिनट की होगी इस दिन चंद्रमा एक नहीं तीन रंगों में दिखाई देगा।
माघ की पूर्णिमा यानी 31 जनवरी 2018 को वर्ष का पहला ग्रहण है। यह चंद्रग्रहण पुख्य नक्षत्र में होकर अश्लेषा के प्रथम चरण में समाप्त होगा। इस बार ग्रहण की कुल अवधि 3 घंटा 7 मिनट है। यह चंद्रग्रहण भारत के सभी स्थानों पर दिखाई पड़ेगा। खगोल विज्ञान की भाषा में कल चंद्रमा का एक अनूठा रूप देखने को मिलेगा,ऐसी स्थिति 35 साल बाद देखने को मिल रही है। जिसे खगोल वैज्ञानिक अंग्रेजी में ‘सुपर ब्लू मून’ कहते हैं। एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी ऑफ इंडिया की पब्लिक आउटरीच कमेटी के अध्यक्ष नीरूज मोहन के अनुसार “ग्रेगोरियन कैलेंडर के एक ही महीने में जब दो बार पूर्णिमा पड़े तो सुपर ब्लू मून होने की संभावना रहती है। पूर्ण चंद्रग्रहण, सुपर मून और ब्लू मून समेत तीन खगोलीय घटनाओं को समन्वित रूप से ‘सुपर ब्लू मून’ कहा जाता है। अमेरिका में इसे 152 साल के बाद होने वाली खगोलीय घटना बताया जा रहा है।
ग्रहण की अवधि:
यह गुवाहाटी में 5:58 शाम स्पर्श करेगा वही बेंगलुरु 6:00 15 पर तथा तिरुवंतपुरम 6:24 पर स्पर्श कर रहा है। बनारस में 5:35 शाम को स्पर्श और वहीं लखनऊ में 5: 41 मिनट शाम को स्पर्श कर रहा है। लखनऊ में खग्रास आरंभ 6: 26 मिनट मध्यकाल से आरम्भ होकर 7: 7 पर समाप्ति 7: 44 ग्रहण का मोक्ष काल 8:48 पर होगा।
‘सुपर ब्लू मून’
इस बारे में इंडिया साइंस वायर के लिए प्रख्यात वैज्ञानिक डॉ. टी.वी. वेंकटेश्वरन लिखते हैं कि अपनी कक्षा में चक्कर लगाते हुए एक समय ऐसा आता है जब पूर्णिमा के दिन चंद्रमा धरती के सबसे करीब होता है। ऐसे में चांद का आकार बड़ा और रंग काफी चमकदार दिखाई पड़ता है। उस दौरान चंद्रमा के बड़े आकार के कारण उसे ‘सुपर मून’ की संज्ञा दी जाती है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के एक ही महीने में दूसरी बार ‘सुपर मून’ पड़े तो उसे ‘ब्लू मून’ कहा जाता है। हालांकि इसका संबंध चंद्रमा के रंग से बिल्कुल नहीं है। वास्तव में पाश्चात्य देशों में ‘ब्लू’ को विशिष्टता का पर्याय माना गया है। चांद के विशिष्ट रूप के कारण ही उसे यहां ‘ब्लू’ संज्ञा दी गई है। ब्लू मून के दिन चंद्र ग्रहण भी हो तो इसे ‘सुपर ब्लू मून ग्रहण’ कहते हैं।
30 प्रतिशत अधिक चमकदार दिखाई पड़ेगा: वैज्ञानिक
डॉ. टी.वी. वेंकटेश्वरन के मुताबिक 31 जनवरी को भारतीय समय के अनुसार छह बजकर 22 मिनट से सात बजकर 38 मिनट के बीच धरती इस खगोलीय घटना का गवाह बनेगी। यह 2018 का पहला ग्रहण होगा। इसका संयोग दुर्लभ होता है और कई वर्षों के अंतराल पर यह घटनाक्रम देखने को मिलता है। विज्ञान-प्रेमियों के लिए यह दिन बेहद खास होता है क्योंकि उन्हें चांद के खास स्वरूप को देखने की उत्सुकता रहती है। पुणे के इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी ऐंड एस्ट्रोफिजिक्स से जुड़े खगोल वैज्ञानिक समीर धुर्डे के अनुसार “सुपर मून के दिन चंद्रमा सामान्य से 14 प्रतिशत बड़ा और 30 प्रतिशत अधिक चमकदार दिखाई पड़ेगा। हालांकि, नंगी आंखों से इस अंतर का अंदाजा लगा पाना आसान नहीं है।
अगला ब्लू मून 31 दिसंबर, 2028 को
इसमें भी भ्रम है कि पिछली बार ‘ब्लू मून’ 30 दिसंबर 1982 को दिखाई पड़ा था या फिर 31 मार्च 1866 को। वैज्ञानिकों के अनुसार इन दोनों ही तारीखों पर ब्लू मून दिखाई पड़ा था। लेकिन भारत समेत विश्व के कई अन्य देशों में ब्लू मून पिछली बार 30 दिसंबर 1982 को दिखाई दिया था। वहीं, 31 मार्च 1866 को अमेरिका समेत विश्व के अन्य हिस्सों में ब्लू मून दिखा था। इस भ्रम के पैदा होने का कारण दोनों देशों के मानक समय में अंतर होना है।पिछली बार एक ब्लू मून ग्रहण 30 दिसंबर, 1982 को पड़ा था, जो भारत के पूर्वी भाग में दिखाई दे रहा था। 1 दिसंबर और 30 दिसंबर, 1982 दोनों ही पूर्णिमा के दिन थे, जिसमें से दूसरी पूर्णिमा को ब्लू मून कहा गया। हालांकि, अमेरिकी टाइम जोन के अनुसार पूर्णिमा 1 दिसंबर के बजाय 30 नवंबर, 1982 को थी। इसलिए उसे अमेरिका में ब्लू मून नहीं माना गया था। यही कारण है कि अमेरिकी मीडिया में प्रचारित किया जा रहा है कि इस बार 152 साल बाद ब्लू मून दिखेगा। अगली बार ब्लू मून 31 दिसंबर, 2028 को पड़ने वाला है।
शुभ और अशुभ प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह राशियों पर शुभ और अशुभ दोनों प्रकार का असर डालता है। जिस राशि में ग्रहण होता है उस राशि के लिए घात कहा गया है, उसकी दूसरी राशि को हानि होती है। जैसे इस बार कर्क राशि में होने से कर्क राशि के लिए घात, सिंह राशि को हानि, वृश्चिक राशि को मान हानि, धनु राशि को कष्ट, मकर राशि को स्त्री कष्ट, वहीं पर कुंभ राशि को सुख, वृष राशि को लक्ष्मी की प्राप्ति और कन्या राशि को लाभ। तुला राशि को अनेक सुखों की प्राप्ति, मिथुन नुकसान तथा मेष राशि वालों को मानसिक पीड़ा प्राप्त हो रही है।
ग्रहण का दुष्प्रभाव कैसे कम करें
दुष्प्रभाव कम करने के लिए मेष राशि वाले हनुमान जी का पूजन करें। वहीं पर मिथुन राशि वालों को भगवान नारायण का पूजन करना चाहिए। सिंह राशि वालों को लक्ष्मी जी का पूजन लाभकारी होगा। वहीं कर्क राशि वालों को श्री मृत्युंजय देवता का पूजन करना चाहिए। वृश्चिक राशि वालों को दुर्गा जी का पूजन और चंद्रमा का दान करना चाहिए। धनु राशि वालों को रुद्र पूजन करना चाहिए। मकर राशि वालों को पार्वती सहित भगवान शिव का पूजन करना चाहिए।
न खाए कुछ
मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है की चंद्रग्रहण के दौरान कुछ भी खाना नहीं चाहिए, यदि आपको कुछ खाना है तो या तो ग्रहण से पहले खाए या फिर ग्रहण ख़त्म होने के बाद।
शुभ कार्य से परहेज
चंद्रग्रहण के समय किसी भी तरह का कोई शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।
न करे पूजा
जब तक चन्द्र ग्रहण है तब तक भगवान की किसी भी तरह से पूजा अर्चना नहीं करना चाहिए, ग्रहण के समय मंदिर के दरवाजो को बंद कर के रखे. यदि आप एसा नाह करते है तो यह अशुभ माना जाता है।