थम-थम कर हो रही वर्षा के बीच पुस्तक प्रेमी भी आते-जाते रहे
लखनऊ, 28 सितम्बर: बलरामपुर गार्डन में कल से शुरू हुये पुस्तक मेले में लोगों ने किताब पर चली परिचर्चा के जरिये पिछली सदी के अंतिम दशकों की अपराधिक वर्चस्व स्थितियों का जायजा एक तेजतर्रार पुलिस अधिकारी के नजरिये से लिया। ऐसे ही साहित्यिक आयोजनों का दौर आज से मेला मंच पर प्रारम्भ हो गया।
बता दें कि इक्कीसवें पुस्तक मेले का आज दूसरा और शनिवार की छुट्टी का दिन था। थम-थम कर हो रही वर्षा के बीच पुस्तक प्रेमी भी आते-जाते रहे और आयोजनों का सिलसिला भी जारी रहा। मेले में राजपाल एंड संस पहली खेप में 11 लाख की हजारों किताबें लाये हैं। सेतु प्रकाशन में सेतु के संग वाग्देवी प्रकाशन और सर्जना की पुस्तकें भी बड़ी मात्रा में हैं। वाणी के स्टाल पर पुस्तकों के कई हज़ार शीर्षक मिल जायेंगे।
प्रभात प्रकाशन अग्नि की उड़ान, महाराणा, 32 हजार साल पहले, ओवर द टाप जैसी बीसियों बेस्ट सेलर और नयी किताबें लेकर मेले में आये हैं। राजकमल के स्टाल पर राधाकृष्ण, लोकभारती, साहित्य भवन, सारांश आदि कई पुराने प्रकाशकों की भी पुस्तकें हैं।
मेला निदेशक आकर्ष चंदेल ने बताया कि मेले में बच्चों, महिलाओं की पसंद से लेकर साहित्य के संग ही, धर्म-अध्यात्म, कला, इतिहास, खानपान जैसे लगभग हर विषय की किताबें हैं। हिन्दी, अंग्रेज़ी के संग ही संस्कृत और उर्दू की किताबें भी खूब हैं।
सांस्कृतिक मंच की बात करें तो आज सुबह नवसृजन संस्था की काव्यगोष्ठी से शुरुआत हुयी। इसी क्रम में बोधरस प्रकाशन द्वारा रजनी ए. के महिला चरित्र पर केन्द्रित उपन्यास शमा का विमोचन हुआ। दोपहर राजकमल के कार्यक्रम में पूर्व पुलिस अधिकारी राजेश पाण्डेय की प्रदेश के एक कालखण्ड विशेष पर लिखी किताब वर्चस्व पर परिचर्चा चली।
लेखक राजेश और वरिष्ठ पत्रकार भूपेन्द्र पाण्डेय की उपस्थिति में पुस्तक के संपादक सुहैल वहीद ने संचालन करने के साथ पुस्तक के अहम अंशों को पढ़ा भी। साहित्य आराधन के तत्वावधान में अलका प्रमोद की चार कृतियों, कहानी संग्रह-खिड़की के पार, किशोर उपन्यास- हमारी भी सुनो, बाल कथा संग्रह परी लोक का रहस्य और बाल लेख संग्रह चमकते सितारे प्रेरणा हमारे का विमोचन अतिथियों महेशचन्द्र द्विवेदी, संजीव जायसवाल संजय, नीलम राकेश, डा.करुणा पांडे व डा.श्रद्धा पाण्डेय की उपस्थिति में हुआ।
समारोह में डा.अमिता दुबे, प्रमोद कुमार पाण्डेय, मनोज चंदेल व अनेक रचनाकार उपस्थित थे। अमर बलिदानी भगत सिंह की जयंती पर अनिल तिवारी के संचालन में भगत सिंह और मौजूदा समय विषय पर चली उत्कर्ष संगोष्ठी में श्रमिक नेता शैलेन्द्र दुबे, राकेश श्रीवास्तव, रीनारे त्रिपाठी इत्यादि ने विचार व्यक्त किये। अंत में रेवांत संस्था की ओर से आयोजित कवि सम्मेलन में सामाजिक विषयों पर कई रचनाएं सामने आयीं।