विमोचन, सम्मान समारोह के संग सजी डाण्डिया नाइट
लखनऊ, 7 अक्टूबर 2024 : बलरामपुर गार्डन में पिछले 10 दिनों से चल रहा साहित्यिक सांस्कृतिक आयोजनों का दौर इक्कीसवें राष्ट्रीय पुस्तक मेले के समापन के साथ थम गया। अंतिम दिन आज पुस्तकों के विमोचन के संग सम्मान समारोह और डाण्डिया की मस्ती के नाम रहा। मोटे अनुमान के मुताबिक मेले में 75 लाख की किताबों की बिक्री हुयी।
मेले के स्टाल संचालक अशोक शुक्ल ने कहा कि शुरुआती और अंतिम दिन वर्षा के बावजूद इस वर्ष भी मेला अच्छा रहा। अतुल माहेश्वरी ने मेले को बेहतर बताया। उन्होंने बताया कि स्टाल पर जान एलिया, भारती की गुनाहों की देवता, मुताह, इस्मत चुगताई की किताबें अच्छी बिक्री के नाते दोबारा मंगानी पड़ीं। बशीर बद्र, मुनव्वर राना जैसे शायरों की किताबें खूब बिकीं। दिव्यांश पब्लिकेशन के स्टाल पर नवलकांत सिन्हा की गुमनाम हिन्दू राजा टिकैत राय और ओशो की मैं कौन हूं सबसे ज्यादा बिकने वाली किताबें रहीं। हिन्दयुग्म प्रकाशन से दिव्य प्रकाश दुबे की यार पापा, मानव कौल की कतरनें और विनोद कुमार शुक्ल की दीवार में एक खिड़की रहती है खूब बिकीं। बोधरस प्रकाशन के स्टाल से इसी मेले में विमोचित हुयी अमित तिवारी की बंकू की डेढ़ सौ से ज़्यादा प्रतियां बिक गयीं।
समापन समारोह में मेला संयोजक मनोज सिंह और निदेशक आकर्ष चंदेल ने प्रकाशकों, वितरकों और मेले के सहयोगियों को स्मृतिचिह्न प्रदान किये। दि लखनऊ ट्रिब्यून की ओर से प्रेम कान्त तिवारी के संचालन में चले कार्यक्रम में पूर्व प्रशासनिक अधिकारी संजय भुस रेड्डी, विशेष सचिव योगेश कुमार और प्रबंध संपादक केपी सिंह ने उत्कृष्ट कार्य करने के लिये एक्सीलेंस अवार्ड प्रदान किये। अवार्ड पाने वालों में क्रिकेट खिलाड़ी कार्तिकेय सिंह, पैरा बैडमिंटन खिला़ड़ी अबू हुबैदा, वरिष्ठ पत्रकार सुधीर मिश्रा व राजकुमार सिंह, प्रो.एके ओझा, डा.सूर्यकांत, सर्वेश गोयल, नेहा जैदी, डा.संदीप गर्ग, डा.सुदीप वर्मा, डा.आशुतोष पाण्डेय, डा.कुमुदिनी चौहान, डा.नलिनी सिंह, डा.विश्वास वर्मा, अपर्णा मिश्रा, स्नेहा चौहान आदि नाम शामिल रहे।