इलेक्ट्रानिक मीडिया का हाल देखकर लगता है कि वह समय बहुत दूर नहीं है जब टीवी के तमाम तथाकथित सेलेब्रिटी पत्रकार आम लोगों के बीच इज़्ज़त पाने की जगह बेइज़्ज़ती का सामना करेंगे। नफ़रत भी झेलेंगे लेकिन यह उनकी ही करनी का फल होगा। जब संपादक गली के गुंडों की तरह अपने स्टूडियो से चुनौतियाँ देंगे, ललकार और हुंकार भरेंगे तो किसी दिन सड़क पर सरेआम पीटे भी जा सकते हैं। बस कुछ समय की बात है।
पत्रकारिता की साख और सम्मान को गिराने में टीवी न्यूज़ मीडिया ने प्रिंट के मुक़ाबले बहुत तेज़ी से शर्मनाक योगदान दिया है। इसकी क़ीमत पूरी इंडस्ट्री को चुकानी पड़ेगी। फ़ील्ड में काम करने वाले रिपोर्टर और डेस्क पर सिर झुकाकर काम करने वाले तमाम लोग अपने वरिष्ठों, संपादकों, एंकरों की सनक, बेहूदगी और बदतमीज़ी की वजह से आम लोगों के व्यंग्यबाणों और चिढ़ का निशाना बनेंगे। हालाँकि देश की राजनीति, मीडिया के इन हालात के लिए समाज ख़ुद भी कुछ कम कुसूरवार नहीं है। बुराइयों के सारे बीज उसकी देखरेख में ही विशाल पेड़ बन गये हैं। वो मज़े लेता रहा है। ताली-थाली बजाता रहा है। अपने टीवी सेट के आगे बैठकर रिया चक्रवर्ती की मीडिया लिंचिंग का हिंसक सुख ले रहा है समाज। इसकी भी क़ीमत तो देनी ही पड़ेगी।
यह क्या हो रहा है
टीवी पर इन दिनों मीडिया कवरेज में चौबीस घंटे लाइव चल रही सुशांत मर्डर मिस्ट्री काफी इंटरेस्टिंग दिखाई जा रही है! मालूम हो कि समाज का एक वर्ग इसे इंटरटेनमेंट कह रहा है तो दूसरी ओर एक समाज इसे इन्साफ की आवाज कह रहा है लेकिन एक वर्ग ऐसा भी है जो मीडिया पर सवाल उठा कर इसे मज़ाक और एक सुर में कौवों का बोलना कह रहा हैं जो कि वास्तव में गंभीर हैं क्या मीडिया ऐसी रिपोर्टिंग और लाइव डिबेट कर वर्तमान में अपनी साख़ खोता नज़र आ रहा है। अगर सही मैंने में कहा जाये तो इसे हाँ ही कहेंगे।
दरअसल बात ही ऐसी है चौबीस घंटे किसी एक मामले की पल -पल रिपोर्टिंग से दर्शक वर्ग अब मीडिया पर हैं रहा हैं और उसका मज़ाक बना रहा हैं। हर गली कूंचे में सिर्फ एक ही चर्चा सुशांत काम मीडिया कवरेज का मुद्दा ज्यादा?
क्या वास्तव में आज समाज से अन्य मुद्दे गायब हो गए हैं या उन पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है या फिर लोगों का ध्यान भटकाने की एक अन्य कोशिश ?
वास्तव में असल मुद्दे दिखाए नहीं जा रहे है या फिर दिखाना नहीं चाह रहे है। क्या टीवी पर चीखना जरुरी है क्या चीखने से चौबीस घंटे में सुशांत सिंह राजपूत को न्याय मिल जायेगा?