उपभोक्ता परिषद ने विद्युत नियामक आयोग में कहां स्मार्ट प्रीपेड मीटर परियोजना पर 29619 करोड होगा खर्च कुछ केंद्र सरकार देगी अनुदान शेष खर्च का कौन करेगा भुगतान जबकि इस पूरी परियोजना का भार उपभोक्ताओं पर ना पड़े ऐसा केंद्र सरकार पहले ही दे चुकी आदेश
लखनऊ, 27 जून : उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन की तरफ से चोर दरवाजे यानि गुपचुप तरीके से स्मार्ट प्रीपेड मीटर कनेक्शन काटने के अलर्ट मैसेज पर प्रति मैसेज रुपया 10 डिस्कनेक्शन, रिकनेक्शन पर रुपया 50 चार्ज का प्रस्ताव देने के विरोध में उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने विद्युत नियामक आयोग में एक जनहित प्रस्ताव दाखिल करते हुए इस आसंवैधानिक प्रस्ताव का विरोध किया साथ ही विद्युत नियामक आयोग के सामने यह भी प्रस्ताव रखा स्मार्ट प्रीपेड मीटर पर खर्च होने वाले लगभग रुपया 29619 करोड का कोई भी भार उपभोक्ताओं पर नहीं पड़ेगा।
इस संबंध में केंद्र सरकार पहले ही आदेश आयोग को दे चुकी है ऐसे में आयोग को पावर कॉरपोरेशन से यह भी पूछना चाहिए कि इस आत्मनिर्भर स्कीम पर जो केंद्र सरकार द्वारा दिए गए अनुदान के अतिरिक्त खर्च होगा उसकी व्यवस्था कैसे होगी!
उपभोक्ता परिषद ने प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं के घरों पर अनिवार्य रूप से स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जाने की व्यवस्था पर भी प्रश्न चिन्ह उठाते हुए यह प्रस्ताव दाखिल किया कि जब विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 47(5 ) में उपभोक्ताओं के लिए विकल्प की व्यवस्था मौजूद है तो फिर अनिवार्य रूप से सभी के घरों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने की योजना क्यों बनाई जा रही है ?
उन्होंने कहा कि विद्युत नियामक आयोग एक अर्द्ध न्यायिक संवैधानिक संस्था है उसका यह नैतिक दायित्व है कि वह विद्युत अधिनियम में दी गई व्यवस्था का पालन कराए पावर कॉरपोरेशन भारत सरकार के जिस रूल के तहत अनिवार्य रूप से स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने की बात कर रहा है वह गलत है क्योंकि पहले ही उपभोक्ता परिषद इस पूरे मामले पर विद्युत नियामक आयोग में याचिका लगा चुका है जिस पर आयोग ने पावर कॉरपोरेशन से जवाब तलब किया था और आज भी निर्णय विचाराधीन है। जो इससे पहले की बिजली दर की सुनवाई में बडा मुद्दा था और उपभोक्ता परिषद हर सुनवाई में उठ चुका है जिसे आगामी बिजली दर की सुनवाई में भी उठाया जाएगा।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा पूरे प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर की टेंडर प्रक्रिया से लेकर जीटीपी अनुमोदन तक उच्च स्तरीय जांच कर ली जाए तो अनेकों अनियमितता सामने आएगी सबसे बडा मामला यह है की जिस तकनीक पर यह पूरी परियोजना को आगे बढाया जा रहा है वह तकनीकी केवल एक दो साल की मेहमान है ऐसे में विद्युत नियामक आयोग का यह नैतिक दायित्व है वह पावर कॉरपोरेशन से इस बात की गारंटी ले की 4जी तकनीकी खत्म होने के बाद 5 जी तकनीकी पर प्रदेश में लगने वाले सभी स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगेंगे और विद्युत अधिनियम 2003 में दी गई व्यवस्था के तहत स्मार्ट प्रीपेड मीटर अनिवार्य नहीं किया जाएगा।