वरिष्ठ लेखक पंकज चतुर्वेदी की कलम से
मध्य प्रदेश के खरगौन जिले की महेश्वर तहसील के ग्राम कोदलाखेड़ी की कोई 100 औरतों ने जिला मुख्यालय पहुँच कर कलेक्टर को जो शिकायत कि, उसे सुन कर आपके रौंगटे खड़े हो जायेंगे ( बशर्ते आप समाज के प्रति संवेदनशील हो और भक्त ना हो ). अनुसूचित जाति-जनजाति की महिला मजदूरों ने बताया कि गांव में उनके परिवारों को न तो पानी नसीब हो रहा है और न ही आटा-दाल मिल पा रहा है। देरी वाला उन्हें दूध नहीं दे रहा है, यहाँ तक कि सरकारी अस्पताल का डोक्टर भी उनके मरीज नहीं देख रहा. उनके परिवार का इस तरह बहिष्कार या हुक्का पानी बंद करने का कारण है कि इन श्रमिक महिलाओं ने सौ रूपए प्रति दिन के स्थान पर दो सौ रुपये प्रति दिन मजदूरी की मांग की . दबंगों ने ना तो उनका पुराना बकाया दिया और आगे से काम देना बंद कर दिया , छोटे छोटे बच्चे चार दिनों से बगैर दूध के हैं मंगलवार को कलेक्टर कार्यालय पहुंचे ग्रामीणों ने ज्ञापन सौंपकर संबंधित लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
ग्रामीणों ने बताया कि गांव में मजदूरी भी नहीं मिलने के कारण मजदूरों परिवारों का हुक्का-पानी बंद हो गया। गांव के व्यापारी भी हमसे किसी प्रकार का व्यवहार नहीं करते हैं। गांव में आने वाले डॉक्टर भी इलाज भी नहीं करते हैं। साथ ही ग्रामीणों ने बताया कि गांव के दबंगों ने शासकीय चरनोई भूमि, नदी किनारे एवं सूखे तालाबों को कब्जे में लिया है। गांव से आई 50 अधिक महिलाओं ने कलेक्टर और एस पी कार्यालय में ज्ञापन सौंपकर संबंधित दबंगों पर कार्रवाई की मांग की है।
जब सारा देश दलित राष्ट्रपति की संभावना से झूम रहा है, जहाँ किसानों के लिए मुख्यमंत्री उपवास पर बैठ जाते हैं, जहां देश कि सभी समस्याएं एक दिन कम से कम योग कर दूर हो गयी, वहां ऐसे परिवार भी हैं जिन्हें दबंग लोग मध्य काल के गुलाम जैसा मानते हैं . अभी कार्यवाही के नाम पर जांच की बात चल रही है, जान लें बहिष्कार करने वाले “अपने वाले” ही हैं , सो चुनाव कि पूर्व- वेला पर कोई सख्त कार्यवाही के संभावना कम है।