- लें गहरी सांस तो लौट आएगी हंसी, लाकडाउन की स्थिति में मनोविकार के आ रहे ज्यादा रोगी, मनोचिकित्सक ने दी सलाह
- यदि आप की कोरोना को लेकर बढ़ रही चिंता तो खबर देखना कर दें बंद
लखनऊ, 10 जून 2020: एक महिला अपने बच्चों के साथ दूसरे प्रदेश से आयी और बाराबंकी में उसके परिवार के साथ उसको एकांतवास करा दिया गया। इसके बाद वहां आस-पास के लोग हर वक्त कोरोना संक्रमण पर बात करते रहे। इसका प्रभाव हुआ कि महिला के चेहरे से हंसी ही उड़ गयी। साइकोलाजिकल टीम ने फोन किया और समस्या पूछी, फिर उसे कोरोना से संबंधित कोई खबर देखने से मना करते हुए उसको गहरी सांस लेने के साथ ही कुछ योग बताए। अब उसके चेहरे पर मुस्कान आ गयी है और वह रिलेक्स महसूस कर रही है। यह तो एक बानगी मात्र है। इस समय सैकड़ों लोग इस तरह के मनोविकार से ग्रस्त चल रहे हैं और उन्हें पता भी नहीं है। मनोवैज्ञानिक के अनुसार सामान्य तौर पर ऐसे में लोगों को गहरी सांस लेना चाहिए। इसके साथ ही अनुलोम-विलोम की प्रक्रिया भी बहुत फायदा करती है।
बाराबंकी के जिला अस्पताल में साइकोथेरेपिस्ट डॉक्टर प्रेम प्रकाश ने बताया कि दिमाग में खुशी का इजहार करने का कारण रसायन इंडाफ्रिन होता है। यदि व्यक्ति ज्यादा समय तक गम में रहता है तो यह निकलना बंद हो जाता है। इससे वह गम में ही खो जाता है। उन्होंने बताया कि खुश रहने के लिए इस रसायन का स्राव होना जरूरी है। व्यक्ति यदि ज्यादा दिन तक हंस नहीं पाया है। मायूस रह रहा है तो ऐसे में उसे सबसे पहले गहरी सांस लेने की प्रक्रिया अपनानी चाहिए।
गहरी सांस लेने की प्रक्रिया सबसे बेहतर:
डॉक्टर प्रेम प्रकाश ने बताया कि लॉकडाउन के बाद बेरोजगारी का भी दंश आ गया। इसके कारण लोग मानसिक रूप से विचलन की स्थिति में ज्यादा आ रहे हैं। इसके लिए हम लोग बहुत लोगों की समस्याओं के समाधान की भी कोशिश करते हैं। इसके साथ ही ज्यादा दिन तक यदि उस व्यक्ति के चेहरे पर खुशी नहीं दिखी तो उसे विभिन्न प्रकार के मेडिटेशन की सलाह दी जाती है। इसमें गहरी सांस लेने की प्रक्रिया सबसे महत्वपूर्ण है।
डॉक्टर ने बताया कि गहरी सांस लेने की प्रक्रिया सबसे बेहतर मानी जाती है। इसके साथ ही इंडोफ्रिन को पुन: चालू करने के लिए अनुलोम-विलोम की प्रक्रिया अपनाई जाती है। इससे खुशी के लिए उत्तरदायी रसायन का स्राव पुन: मस्तिष्क में होने लगता है और व्यक्ति के चेहरे पर खुशी आ जाती है।