57वीं अंतरराष्ट्रीय कौमरान 2023 में प्रतिभाग कर प्रस्तुत किए शोधपत्र, बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर आयुर्वेद के महत्त्व और उसके प्रसार के लिए भारत सहित 12 देशों के 700 आयुर्वेद विशेषज्ञों ने साझा की अहम जानकारियां
राहुल कुमार गुप्ता
बांदा। बच्चों के स्वास्थ्य एवं पोषण को लेकर आयुर्वेद के महत्त्व संबंधित 57वीं अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस ( कौमरान 2023) में बुंदेलखंड के प्रसिद्ध आयुर्वेद चिकित्सक (एसोसिएट प्रोफेसर बालरोग) डॉक्टर पवन कुमार विश्वकर्मा ने प्रतिभाग कर वा अपने शोध पत्र प्रस्तुत कर अपने जनपद बांदा के साथ बुंदेलखंड का भी मान बढ़ाया है।
28 से 30 दिसंबर 2023 को जोधपुर में डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन आयुर्वेद विश्वविद्यालय में 57वीं अंतरराष्ट्रीय कौमरान का आयोजन हुआ, जिसमें भारत सहित 12 देशों के 700आयुर्वेद के विषय विशेषज्ञों के साथ साथ कई महत्वपूर्ण संस्थानों के कुलपतियों, महानिदेशकों एवं निदेशकों ने प्रतिभाग किया। राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने बतौर मुख्य अतिथि आयुर्वेद के महत्त्व पर जोर दिया। बच्चों के पोषण और स्वास्थ्य के लिए भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद में शोध और प्रसार की भी बात कही।
इस समिट में अमेरिका, फ्रांस, जापान, यूनाइटेड किंगडम, नेपाल, बांग्लादेश सहित 11 देशों के आयुर्वेद विशेषज्ञों ने प्रतिभाग कर बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण को लेकर अपनी अपनी जानकारियां और शोध पत्र को साझा किया।
बुंदेलखंड से अकेले डॉक्टर पवन कुमार विश्वकर्मा ने इस अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस में शामिल होकर आयुर्वेद के द्वारा बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण को लेकर अपने अनुभव और शोध पत्र को साझा किया।
डॉक्टर पवन कुमार विश्वकर्मा बांदा जिले के बबेरू तहसील के रयान गांव के रहने वाले हैं। अतर्रा आयुर्वेदिक कॉलेज से बीएएमएस की पढ़ाई पूरी कर जयपुर से एमडी कर के अतर्रा राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज में ही लेक्चरर के पद पर उन्हें पहली ज्वाइनिंग मिली।
अपने चिकित्सक पिता की भांति ही अपने आयुर्वेद के चिकित्सा ज्ञान को मानव कल्याण और मानव सेवा के लिए ही समर्पित कर दिया है। लगभग 5 वर्ष पहले झांसी बुंदेलखंड राजकीय आयुर्वेद कॉलेज में इनका ट्रांसफर हुआ, लेकिन अतर्रा के लोगों के प्रति लगाव के चलते वो हफ्ते में 1 या दो दिन के लिए अपनी सेवा जरूर देते हैं। जरूरत पड़ने पर ऑनलाइन भी मरीजों की समस्याओं का समाधान निःशुल्क ही करते हैं।
कोरोना काल में लोगों की निःशुल्क सेवा कर अपने पास आए सभी मरीजों को आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति से स्वस्थ कर उनके परिवार की खुशियां बरकरार रखीं। अभी हाल ही में डॉक्टर पवन कुमार विश्वकर्मा की नियुक्ति कौमार्यभृत्य के एसोसिएट प्रोफेसर पद पर झांसी में ही हुई है।
जिसके बाद उन्हें तुरंत ही एक अंतर्राष्ट्रीय समिट में जाने का मौका मिला। डॉक्टर पवन की धर्मपत्नी भी आयुर्वेद में जयपुर से एमडी हैं वो गैनकोलॉजिस्ट के कार्य में विशेषज्ञता हासिल किए हैं।डॉक्टर पवन कुमार विश्वकर्मा ने अपने शोध पत्र में बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण को लेकर एक समुचित जानकारी दी। उन्होंने बताया कि नेशनल चाइल्ड हेल्थ प्रोग्राम में हम आयुर्वेद को कैसे इंप्लीमेंट करके बच्चों के स्वास्थ्य को आसानी से और बेहतर तरीके से अचीव कर सकते हैं।
उन्होंने बताया कि आयुर्वेदीय गर्भिणी परिचर्या के पालन से मां और जन्म लेने वाले बालक को बहुत सी बीमारियों से बचा सकते हैं। आज के खान पान जिसमे पेस्टिसाइड, केमिकल खादों की भरमार है और तो और मिलावट भी बाजारों में कम नहीं। फास्ट फूड और बच्चों को आकर्षित करने वाले पैकेट बंद बहुत सी खाद्य सामग्रियां भी निरंतर कई दिनों तक लेने से भी दुष्प्रभाव देखने को मिलते हैं।
गरीब परिवार के बच्चे अगर अल्पपोषण का शिकार होते हैं तो वहीं अन्य परिवार के बच्चे अधिकतर अतिपोषण का शिकार होते हैं, ये दोनों ही कुपोषण की श्रेणी में आता है, अल्प पोषण के लिए तो सरकार ने योजनाएं चला रखी हैं जिनसे बहुत से बच्चों को लाभ मिल भी रहा है, किंतु अति पोषण के लिए जागरूकता की अधिक जरूरत है। संतुलित आहार की जरूरत सबको है। पर ये संतुलित आहार केवल चार्ट का एक पार्ट बन कर रह जाता है, लोग अपने व्यवहार में इसे उतार नहीं पाते, वजह यहां भी जागरूकता की कमी। आयुर्वेदिक पद्धति के अनुसार दिनचर्या, ऋतुचर्या, स्वस्थवृत्त , सद्वृत्त पालन, योगा आदि की जानकारी द्वारा हम खुद को काफी हद तक सुरक्षित रख सकते हैं।
यदि बचपन से ही बच्चों के प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूती मिल जाती है तो एक लंबे स्वस्थ जीवन का मार्ग प्रशस्त हो जाता है।
बच्चों के प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करने के लिए आयुर्वेद में अद्भुत फल देने वाली औषधियां हैं, जो बिना किसी नुकसान के बच्चों के समुचित शारीरिक एवं मानसिक विकास में सहायक हैं। जैसे सुवर्णप्राशन गिलोय स्वरस, आयुष बाल रक्षा क्वाथ, च्वानप्राशालेह, बालचतुरभद्र, मेध्य रासायन आदि ऐसी औषधियां हैं जो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह और देख रेख में ली जा सकतीं हैं जिससे बेहतर परिणाम देखने को अवश्य मिलते हैं।आयुर्वेद के पंचकर्म चिकित्सा विशेष कर बस्ति चिकित्सा , स्नेहन स्वेदन आदि के द्वारा भी बच्चो को बीमारियों से त्वरित लाभ मिलता है।