जी के चक्रवर्ती
आज सम्पूर्ण विश्व के साथ ही हमारे देश के लोगों में भी हुये आमूलचूल परिवर्तनों के कारण खरीद-फरोख्त से लेकर रुपये-पैसों के लेन-देन और रूप तक में भी परिवर्तन आना स्वाभाविक है। आज हमारा समाज इलेक्ट्रॉनिक्स युग मे प्रवेश कर चुका है हमे अक्सर क्रिप्टो करेंसी की बातें सुनने को मिलता रहता है जिससे हमारे आपके दिलो दिमाग में यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि आखिर यह क्रिप्टो करेंसी क्या है?
यह किसी मुद्रा का एक डिजिटल रूप है। यह किसी सिक्के या नोट की शक्ल में ठोस रूप में आपके हमारे जेब में होने के स्थान पर यह पूरी तरह से ऑनलाइन यानिकि इंटरनेट के माध्यम से संचालित होता है।
भारत में क्रिप्टोकरंसी के बारे में कोई कायदा-कानून न होने से अनेको दिक्कतें पैदा हो रही हैं? जिसे देखते हुए एक समय तो ऐसा लग रहा था कि इस पर रोक लगाया जा सकता है। वैसे तो हमारे देश में ऐसी अनेको चीजें हैं, जिनके लिए कोई विशेष प्रकार के नियम, कायदा या कानून नहीं बना। अगर कोई आपसे धांधली करे या कोई धोखाधड़ी भी करे वह चाहे क्रिप्टो की करे, या सोने की करे और चाहे मुद्रा की करे और चाहे पत्थर की करे, हमारे देश के जो कानून बने हैं, वह प्रत्येक पर लागू होते हैं।
आज हमारे देश भारत में लगभग डेढ़ करोड़ लोगों के पास क्रिप्टोकरंसी हैं। जिसका मूल्य अरबों डॉलरों में है और इसमें व्यापार के रूप में बिना किसी नियमों के व्यापार किया जाता है। इसको कोई सरकार या कोई विनियामक प्राधिकरण द्वारा जारी नहीं किया जाता है। यह व्यवस्था रुपयों पैसों के लेन-देन में एक आभासी यानिकि कृतिम रुपयों-पैसों के माध्यम से किया जाता है। इस परिपेक्ष में एक क्रिप्टोक्यूरेंसी, क्रिप्टो-मुद्रा एक तरह की अंकीय संपत्ति है, जिसे एक तरह की विनिमय माध्यम से काम करने के लिए बनाया गया है, जिसमें एक व्यक्ति की व्यक्तिगत सिक्को या रुपये के स्वामित्व वाले धन की जानकारियां एक कम्प्यूटरीकृत डेटाबेस के रूप में कम्प्यूटर में संरक्षित किया जाता है, जिसे क्रिप्टोकरेंसी के रूप में मजबूत क्रिप्टोग्राफी का उपयोग करके सुरक्षित रिकॉर्ड को नियंत्रित किया जाता है।
अतिरिक्त रुपये -पैसों का निर्माण एवं रुपये के रूप में धन के स्वामित्व के हस्तांतरण की पुष्टि करना। यह कार्य भौतिक रूप से जैसे कागजों के नोट के रूप मे होंने के स्थान पर एक केंद्रीय प्राधिकरण द्वारा जारी किया जाता है।
क्रिप्टोकरेंसी साधारणतः केंद्रीयकृत डिजिटल मुद्रा और केंद्रीय बैंकिंग प्रणालियों के विपरीत विकेंद्रीकृत नियंत्रण का उपयोग करती है। जब किसी क्रिप्टोक्यूरेंसी को एक जारीकर्ता द्वारा जारी करने से पूर्व साधारणतः इसे केंद्रीकृत माना जाता है। इसे जब विकेन्द्रीकृत नियंत्रण के साथ लागू किया जाता है, तो प्रत्येक क्रिप्टोक्यूरेंसी के वितरण को लेज़र तकनीक के माध्यम से संचालित किया जाता है, आमतौर पर एक ब्लॉकचेन, जो एक सार्वजनिक वित्तीय लेनदेन डेटाबेस के रूप में कार्य करता है।
वर्ष 1983 में, अमेरिकी क्रिप्टोग्राफर “डेविड चाउम” ने एक अज्ञात क्रिप्टोग्राफिक द्वारा एक इलेक्ट्रॉनिक मुद्रा की कल्पना की गई , जिसे एक्श कहा जाता है। उसके बाद वर्ष1995 में, उन्होंने इसे डिजिकैश का नाम दिया। क्रिप्टोग्राफ़िक इलेक्ट्रॉनिक भुगतानों का एक प्रारंभिक रूप है, जिसे बैंक से नोट की शक्ल में धन वापस लेने और प्राप्तकर्ता को भेजे जाने से पहले एक प्रकार की विशिष्ट कूट रूप में कुंजियों को निर्दिष्ट करने के लिए उपयोगकर्ता सॉफ़्टवेयर के माध्यम से करता है। इसे जारीकर्ता बैंक, सरकार या किसी तीसरे पक्ष द्वारा डिजिटल मुद्रा को अप्राप्य कृतिम रूप में दिये जाने की अनुमति प्रदान की जाती है।
वर्ष 2018 में भारत की “सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया” ने भी क्रिप्टोकरंसी पर ट्रेड करने पर बैन लगा दिया था, और वर्ष 2019 में क्रिप्टो करेंसी को भारत में पूरी तरह से बैन करने के लिए एक ड्राफ्ट तैयार किया गया था, लेकिन मार्च वर्ष 2020 में भारत की सर्वोच्च न्यायालय ने क्रिप्टो करेंसी पर लगे रोक को पूरी तरह से हटा लिया जिससे देश मे इसके कार्यान्वयन का मार्ग प्रसस्त हो गया।