कई रोगों के निदान के साथ ही मेंथा की खेती में है ज्यादा फायदा
दर्द निवारक सहित कई रोगों के लिए फायदेमंद मेंथा किसानों के लिए भी बहुत फायदेमंद खेती है। पहले भारत में इसकी पैदावार बहुत कम थी, लेकिन आज यह सबसे बड़ा उत्पादक बन गया है। इसका कारण है किसानों द्वारा वैज्ञानिक खेती की ओर ध्यान देना और सीमैप द्वारा इसकी खेती को वैज्ञानिक रूप देकर किसानों के बीच प्रचार करना। यूपी में अप्रैल के मध्य तक इसकी रोपाई होती है।
पिछले दो सीजन से मेंथा ऑयल का भाव 1500 रुपये 2100 रुपये किलोग्राम रहा। 1 एकड़ में किसानों को मेंथा की खेती पर करीब 30 हजार रुपये की लागत आती है, जबकि करीब 1 लाख का मेथा ऑयल पैदा होता है। इससे प्रति एकड़ करीब 70 हजार रुपये की कमाई हो जाती है। इसके अलावा अवारा पशुओं से भी नुकसान काफी कम होता है, क्योंकि ज्यादातर जानवरों को मेंथा (पुदीना) का स्वाद नहीं भाता है।
नकदी फसल में शुमार मेंथा की की सबसे ज्यादा खेती यूपी के बाराबंकी, चंदौली, बनारस, सीतापुर समेत कई जिलों में किसान अत्यधिक मात्रा में इसकी खेती करते हैं। नब्बे दिनों में तैयार होने वाली इस फसल में किसान कुछ ही समय ज्यादा मुनाफा कमा लते हैं। भारत इसका सबसे बड़ा उत्पादक है। यूपी समेत देश के कई हिस्सों में फरवरी से लेकर अप्रैल मध्य तक इसकी रोपाई होती है। नकदी फसल में शुमार मेंथा की सबसे ज्यादा खेती यूपी के बाराबंकी, चंदौली, बनारस, सीतापुर समेत कई जिलों में सबसे ज्यादा होती है। 90 दिनों में तैयार होने वाली इस फसल में किसान कुछ ही समय में मुनाफा कमा सकते हैं।
इस संबंध में सीमैप के वैज्ञानिक डाक्टर एसपी सिंह ने बताया कि “मेंथा को कतार में लगाना चाहिए, “लाइन से लाइन की दूर 45 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे के बीच की दूरी 15 सेंटीमीटर होनी चाहिए। लेकिन अगर यही रोपाई गेहूं काटने के बाद फसल लगानी है तो लाइन से लाइन की दूरी 30 सेंटीमीटर और पौधों से पौधों की बीच की दूरी 10 सेंटीमीटर होनी चाहिए।” वैज्ञानिकों के मुताबिक ज्यादा उत्पादन के चक्कर में किसान अक्सर उर्वरकों (डीएपी-यूरिया) का अंधाधुंध इस्तेमाल करते हैं, लेकिन मेंथा को डीएपी की जरूरत नहीं, इसलिए किसानों को चाहिए सिंगल सुपर फास्फेट डालें।
एक बोरी डीएपी 1100 रुपए की मिलती है, जबकि एसएससी महज 350-400 रुपए की। इसी तरह कतार में लगाने से खेत में ज्यादा पौधे लगते हैं। इसी तरह हम लोगों ने निराई गुड़ाई का खर्च बचाने के लिए किसानों को पुआल से मल्चिंग शुरु कराया है।