आगे-आगे मुखिया चोर।
पीछे भागे भूखे लोग।
आगे-आगे मोटे पेट।
पीछे-पीछे भूखे पेट।
मुखिया बुलायें चौकीदार।
सभी वर्दी वाले यार।
चले गोली चले बंदूक।
हवेली हो गयी खूनोखून।
मुखिया जी बीमारी पड़ गयी।
बोले मुखिया बीमारी तो पड़ती है।
मुखिया जी लोग मर रहे हैं।
बोले मुखिया लोग तो मरते ही रहते हैं।
मुखिया जी लोग रो रहे हैं।
बोले मुखिया लोग तो रोते रहते हैं।
जब उससे बर्दाश्त न हुईं मुखिया जी की बातें
तब वह बोला सुन मुखिया!
तेरी हवेली की नींवों में बीमारी है।
- गौरव मिश्रा