कुछ मस्त यादें: अंशुमाली रस्तोगी


मैंने अता साहब को सबसे पहले तब सुना था, जब अपने पहले इश्क में मुंह की खाई थी। बड़ा मजा आया था उस इश्क के असफल रहने पर। फिर उसके बाद कई और भी इश्क फरमाए बारी-बारी से सब छूट गए। मगर अनुभव धांसू रहा। तब एक रोज किसी ने अताउल्लाह खां की कैसेट सुनने को दी। सुना और दबाके सुना। उन्हें सुनने के बाद लगा ये इश्क-मोहब्बत सिर्फ टाइम-पास के लिए है, असली आनंद तो शराब में है। उसमें डूबे रहो और मौज करो। दुनिया मस्त और रंगीन दिखेगी।
शराब पर गईं उनकी गजलें अद्भुत हैं। बोतल से ग्लास में और उसके बाद सीधे दिल में उतर जाती हैं। उनकी गाई एक ग़ज़ल का शेर है- ‘जिंदगी जब से शराबी हो गई, दूर दिल से हर खराबी हो गई…’ और भी बहुत सारी हैं। उन्हें सुनिए और जिंदगी की मौज लीजिए।