हैप्पी मैरी क्रिसमस:
इस बार क्रिसमस कि धूम चौबीस दिसंबर से पहले ही स्कूलों में देखने को मिल रही थी सभी क्लास के बच्चों को सख्ती से आदेश दे दिए गए थे कि पचास- पचास रूपए जमा करें क्लास को डेकोरेट करना है और सांता की कैप या सांता क्लाज़ की फुल ड्रेस पहनकर 25 दिसम्बर को आना है कुछ बच्चों ने तो एक दो दिन पहले से ही ड्रेस पहनकर गली में टाफियां चॉकलेट बांटनी शुरू कर दी थी। यही कारण है कि इस बार क्रिसमस पहले से ही चमक उठा।
बता दें कि क्रिसमस के दिन तो बच्चों को सांता क्लॉज का खासतौर से इंतजार रहता है क्योंकि इस दिन वह बच्चों के लिए ढेर सारे उपहार और तरह-तरह के खिलौने जो लेकर आता है। ईसाई समुदाय के बच्चे तो सांता क्लॉज को एक देवदूत मानते रहे हैं क्योंकि उनका विश्वास है कि सांता क्लॉज उनके लिए उपहार लेकर सीधा स्वर्ग से धरती पर आता है और टॉफियां, चॉकलेट, फल, खिलौने व अन्य उपहार बांटकर वापस स्वर्ग में चला जाता है।
क्यों मानते हैं क्रिसमस :
सवाल ये है कि आज ही के दिन क्यों आते हैं सांता क्लॉज? सांता क्लॉज का इंतजार बच्चे 25 दिसम्बर को ही क्यों करते हैं। इस बारे में कई कथाएं प्रचलित हैं। कहा जाता है कि एक बार निकोलस को मायरा के एक ऐसे व्यक्ति के बारे में जानकारी मिली, जो बहुत धनवान था लेकिन कुछ समय पहले व्यापार में भारी घाटा हो जाने से वह कंगाल हो चुका था। उस व्यक्ति की चार बेटियां थी लेकिन उनके विवाह के लिए उसके पास कुछ न बचा था। यहां तक कि उसके परिवार के लिए तो खाने के भी लाले पड़े थे। उसने फैसला किया कि वह इनमें से एक लड़की को बेच देगा और उससे मिले पैसे से अपने परिवार का पालन-पोषण करेगा तथा बाकी बेटियों का विवाह करेगा।
उसी रात संत निकोलस उसके घर पहुंचे और चुपके से खिड़की से सोने से सिक्कों से भरा एक बैग घर में डालकर चले गए। सुबह जब उस व्यक्ति की आंख खुली और उसने सोने के सिक्कों से भरा बैग खिड़की के पास पड़ा देखा तो उसने ईश्वर का धन्यवाद करते हुए बैग अपने पास रख लिया और एक-एक कर धूमधाम से अपनी चारों बेटियों की शादी की।
बाद में उसे पता चला कि यह बैग संत निकोलस ही उसकी बेटियों की शादी के लिए उसके घर छोड़ गए थे। क्रिसमस के दिन कुछ देशों में ईसाई परिवारों के बच्चे रात के समय अपने-अपने घरों के बाहर अपनी जुराबें सुखाते भी देखे जा सकते हैं। इसके पीछे मान्यता यह है कि सांता क्लॉज रात के समय आकर उनकी जुराबों में उनके मनपसंद उपहार भर जाएंगे। इस बारे में भी एक कथा प्रचलित है। कहा जाता है कि एक बार सांता क्लॉज ने देखा कि कुछ गरीब परिवारों के बच्चे आग पर सेंककर अपनी जुराबें सुखा रहे हैं। जब बच्चे सो गए तो सांता क्लॉज ने उनकी जुराबों में सोने की मोहरें भर दी और चुपचाप वहां से चले गए।