हमले का खतरा, एलर्ट जारी
लखनऊ। यूपी के लखीमपुर खीरी जिले में पुलिस प्रशासन ने मानसून सीजन में बाघ और तेंदुए से ज्यादा मगरमच्छों का खौफ है। जहां लोग बाढ़ और बरसात की मार झेल रहे हैं तो वहीं मगरमच्छों ने करीब डेढ़ महीने में ईसानगर, फूलबेहड़ में एक-एक और निघासन में दो लोगों को निवाला बनाया है। इसको लेकर वन विभाग मुख्यालय के आदेश पर क्षेत्रीय वन विभाग की टीम ने 42 गांवों को अलर्ट जारी किया है। जिले में मगरमच्छ के खतरों की पुष्टि वन विभाग के आंकड़ों से इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पांच तहसील के 42 गांवों में रहने वाले करीब 70 हजार की आबादी में इनकी दहशत बनी हुई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार वही वन विभाग रेस्क्यू के रिकार्ड बताकर खुद की पीठ थपथपा रहा है। साथ ही मगरमच्छ के हमले साबित होने और इसमें जान गवाने वालों को पांच-पांच लाख का मुवाअजा देने का दावा कर रहा है। जिले में आये दिन खेत देखने जाने वाले लोगों पर मगरमच्छ हमला कर रहे हैं। वहीं मानसून सीजन में नदियों में बाढ़ आने और शहर से सटे इलाकों में नाले के सहारे मगरमच्छ रिहायशी इलाकों तक पहुंचते हैं। पलिया, निघासन, धौरहरा और सदर तहसील के नदी किनारे बसे करीब 42 गांव बरसात में मगरमच्छों की मौजूदगी से भय में रहते हैं। ग्रामीणों की मानें तो मगरमच्छ नदी से निकलकर गांव में घुस जाते हैं। कभी खलिहान में बैठे रहते हैं तो कभी आंगन तक आ जाते हैं। इन नदियों में रहते हैं मगरमच्छ कंडवा, उल्लू, शारदा नदी शहर से सटकर बह रही इन नदियों में मगरमच्छों की आबादी अधिक संख्या में रहती है।
इनमें करीब चार सौ से अधिक की संख्या में होने अनुमान है हलांकि वन विभाग के पास न तो इनकी सही गिनती है और नहीं डाटा है कि किस नदी में इनकी कितनी संख्या है। बीते वर्ष में 113 मगरमच्छ पकड़े गये वन विभाग की टीम ने दावा किया है कि मगरमच्छों को लेकर लगातार रेस्क्यू अभियान चलाया जाता है। साथ ही लोगों को इनकी मौजूदगी की भी जानकारी देने के साथ ही लोगों को इनसे बचने के उपाय के बारे में जागरुक किया जाता है। बीते साल दक्षिण खीरी वन प्रभाग और दुधवा टाइगर रिजर्व के बफरजोन में करीब 113 मगरमच्छों का रेस्क्यू किया गया है। साथ ही सड़क हादसे में मगरमच्छों को जान भी गंवानी पड़ी है। दक्षिण खीरी में 46, वहीं बफर जोन में 78 का रेस्क्यू किया गया है।
डेंजर स्पाट पर विभाग की नजर
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार वन विभाग की टीम सर्तक हो गयी है इसको लेकर डेंजर स्पाट पर बन विभाग की टीमें नजर बनाये हुए है। साथ ही लोगों को इस खतरे को लेकर आगाह भी कर रही है। वन विभाग ने 11 जगहों पर मगरमच्छ की कुनबे सहित मौजूदगी की रिपोर्ट की है। संजय कुमार डीएफओ दक्षिणी के मुताबिक नदी से बाहर निकलकर आने वाले मगरमच्छों के हमले में जान गवाने वाले मृतकों के परिजनों को पांच लाख और गंभीर रूप से घायलों को ढाई लाख रुपये की मदद की जाती है। यह मदद हमला होने की पुष्टि होने पर ही दी जाती है। महज डेढ़ माह में ईसानगर फूलबेहड़ में एक-एक और निघासन में दो लोग इनके हमलों से जान गवां चुके हैं। बीते साल घोरहरा में भैंस चराने गये किशोर को मगरमच्छ अचा गया था। 13 लोग इनके हमले में जान गवा चुके हैं। करीब 16 लोग घायल हो चुके हैं।