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    Home»इंडिया

    स्वास्थ्य चिकित्सा और शिक्षा पर बल

    ShagunBy ShagunAugust 28, 2021 इंडिया No Comments5 Mins Read
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    डॉ दिलीप अग्निहोत्री

    रामनाथ कोविंद की गोरखपुर यात्रा स्वास्थ्य चिकित्सा और शिक्षा के दृष्टिगत महत्वपूर्ण रही। यहां उन्होंने महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय का उद्घाटन किया। इसके अलावा उन्होंने महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय का शिलान्यास किया। इस अवसर पर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल तथा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उपस्थित थे।

    नरेंद्र मोदी सरकार ने स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार हेतु आयुष का शुभारंभ किया था। वस्तुतः यह भारत की प्राचीन स्वास्थ्य चेतना के अनुरूप था। जिसमें केवल उपचार का ही महत्व नहीं था। बल्कि स्वस्थ्य जीवन के विविध उपाय भी इसमें शामिल थे। भारत के ऋषियों ने प्राचीन काल में ही आयुर्वेद की रचना की थी। योग आचार विचार आदि के माध्यम से स्वस्थ्य रहने के सूत्रों का निर्धारण किया गया। यह सब गहन शोध पर आधारित था। जिसे आधुनिक मेडिकल साइंस भी स्वीकार करती है। पिछली बार प्रधानमंत्री बनने के कुछ समय बाद ही आयुष मंत्रालय का गठन किया था। प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति को पुनर्जीवित करने का उद्देश्य निर्धारित किया गया। इससे लोगों को लाभान्वित करने की योजना बनाई गई। आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, होम्योपैथी के क्षेत्रों में शिक्षा और अनुसंधान पर बल दिया गया।

    अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के समय आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, होम्योपैथी आयुष विभाग के रूप में गठन किया गया था। इन प्रणालियों में उपयोग किए जाने वाले औषधीय पौधों की खेती,बढ़ावा देने और पुनर्जीवित करने के लिए योजनाओं का क्रियान्वयन शुरू किया गया। आयुष मंत्रालय आयुर्वेद, योग प्राकृतिक चिकित्सा,यूनानी, और होमीओपैथी विभाग को संयुक्त रूप में आयुष नाम दिया गया। इसका उद्देश्य उपर्युक्त की शिक्षा और अनुसन्धान को बढ़ावा देना है। आयुष मंत्रालय ने करीब तीन वर्ष पूर्व आयुष आपके द्वार नाम का एक योजना लागू की थी। जिसके अंतर्गत आयुर्वेदिक तथा यूनानी अस्पताल के पांच किलोमीटर के दायरे में आने वाले गाँवो में निःशुल्क चिकित्सा कैंप लगाए जा रहे है। उत्तर

    प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी आयुष को प्रभावी रूप में क्रियान्वित कर रहे है। गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय से प्रदेश के आयुर्वेद यूनानी होम्योपैथी,योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा संस्थान सम्बद्ध हो सकेंगे। इससे आयुष महाविद्यालयों की प्रवेश प्रक्रिया, सत्र का नियमन, परीक्षा का संचालन एवं परिणाम में एकरूपता स्थापित होगी। आयुष विश्वविद्यालय में आयुर्वेद, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा का एक उत्कृष्ट श्रेणी का शोध संस्थान भी स्थापित किया जाएगा। जिसमें अन्तर्विभागीय चिकित्सा पद्धतियों का पारस्परिक समन्वय करते हुए शोध कार्याें को बढ़ावा दिया जाएगा।

    वर्तमान प्रदेश सरकार ने सत्ता संभालने के कुछ समय बाद ही स्वतंत्र विभाग के रूप में आयुष विभाग का गठन किया था। इसके अन्तर्गत आयुर्वेद, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, होम्योपैथी तथा सिद्ध चिकित्सा पद्धतियां शामिल हैं। वर्तमान में आयुष विभाग के अन्तर्गत आयुर्वेद, होम्योपैथिक, यूनानी एवं आयुष मिशन निदेशालयों का संचालन किया जा रहा है। प्रदेश में चौरानबे आयुष महाविद्यालय हैं। गोरखपुर में बन रहे एम्स के लोकार्पण की भी तैयारी चल रही है।

    मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने उत्तर प्रदेश में चार वर्षों के दौरान मेडिकल कॉलेज स्थापना का रिकार्ड कायम किया है। इस मामले में उनके चार वर्ष सत्तर वर्षों पर भारी है।आजादी के लगभग सत्तर वर्ष तक प्रदेश में बारह मेडिकल काॅलेज बने थे। चार वर्षों में बत्तीस मेडिकल कॉलेज का निर्माण हो रहा है।वर्तमान राज्य सरकार द्वारा पिछले वर्ष आठ मेडिकल काॅलेज प्रारम्भ कराए गए। इस सत्र में नौ मेडिकल काॅलेज में एमबीबीएस की पढ़ाई प्रारम्भ हो जाएगी। राज्य में चौदह नए मेडिकल काॅलेज प्रारम्भ करा दिए जाएंगे।

    प्रदेश के सोलह जनपदों में जहां कोई भी सरकारी अथवा प्राइवेट मेडिकल काॅलेज नहीं हैं। ऐसे जनपदों के लिए राज्य सरकार द्वारा कार्ययोजना तैयार की गयी है। इन जनपदों में पीपीपी मोड में मेडिकल काॅलेजों का निर्माण किया जाएगा। वर्तमान राज्य सरकार का कार्यकाल पूरा होने तक प्रदेश के प्रत्येक जनपद में एक मेडिकल काॅलेज होगा। प्रधानमंत्री द्वारा गोरखपुर एवं रायबरेली में दो एम्स प्रदान किए गए हैं। इन दोनों एम्स में विगत सत्र से शिक्षण कार्य भी प्रारम्भ हो चुका है। एम्स विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सुविधाओं का एक महत्वपूर्ण केन्द्र होता है। गोरखपुर एम्स में ओपीडी कार्य विगत वर्ष ही प्रारम्भ हो चुका है। एक हजार बेड के हाॅस्पिटल के साथ शीघ्र ही इसका निर्माण कार्य पूर्ण हो जाने के बाद प्रधानमंत्री के द्वारा इसका लोकार्पण किया जाएगा।

    महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय गोरखपुर के माध्यम से योग,आयुर्वेद,चिकित्सा शिक्षा, उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, कृषि शिक्षा सहित अन्य रोजगारपरक पाठ्यक्रमों का संचालन किया जाएगा। इस विश्वविद्यालय का उद्देश्य कौशल विकास एवं रोजगार के बारे में विशिष्ट संस्थान,शिक्षा की सभी विधाओं का विकास एवं उच्चस्तरीय शोध को बढ़ावा देना है। इसमें स्वास्थ्य सम्बन्धी सभी विधाओं के विकास तथा इससे सम्बन्धित संस्थानों की स्थापना शामिल हैं। इस विश्वविद्यालय द्वारा तकनीकी, व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास को प्रोत्साहित करते हुए सम्बन्धित उच्चस्तरीय उत्कृष्ट संस्थान की स्थापना का कार्य किया जाएगा।

    महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय द्वारा प्राच्य एवं अर्वाचीन शिक्षा तथा विशिष्ट शोध को बढ़ावा मिलेगा। योग,आयुर्वेद एवं आयुष की अन्य विधाओं के संस्थान स्थापित करके आरोग्यता के लिए योग केन्द्र एवं चिकित्सालय की स्थापना सहित अध्ययन, अध्यापन, शोध की व्यवस्था की जायेगी। इसके अलावा,आधुनिक चिकित्सा पद्धति एलोपैथी की सभी विधाओं से आरोग्यता प्राप्त करने हेतु जांच, परामर्श एवं उपचार तथा अध्ययन, अध्यापन, शोध के लिए उत्कृष्ट चिकित्सा संस्थान स्थापित होंगे।

    इस विश्वविद्यालय में नर्सिंग,फार्मेसी, पैरामेडिकल एवं आरोग्यता से जुड़े सभी पाठ्यक्रमों के निर्माण एवं अध्ययन,अध्यापन, शोध की व्यवस्था होगी। रोजगार के लिए तकनीकी पाठ्यक्रमों को प्रोत्साहित किया जाएगा। महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद द्वारा स्थापित महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय चरणबद्ध ढंग से विकसित होता हुआ राज्य के विकास में सहायक होगा।

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