जब तक बिजली कम्पनियों की ग्रेडिंग बी प्लस या उससे न हो ऊपर उन्हें नहीं मिलता 100 में 65 और 100 की बीच नम्बर, ऐसे में सरकार प्रदेश बिजली कम्पनियों की ग्रेडिंग पर तय करे जबाबदेही
लखनऊ,12 अक्टूबर 2019: कल देश के ऊर्जामंत्री ने राज्यों को बड़ा आईना दिखते हुए कहा ज्यादातर राज्य रुपया 3 से 4 प्रति यूनिट की बिजली खरीद कर उपभोक्तओ को रुपया 7 से 8 प्रति यूनिट में बेचते हैं और इसके बावजूद फिर भी उत्पादन कम्पनियों का बकाया बढ़ रहा।
बता दें कि कल गुजरात में राज्यों के ऊर्जामंत्रियो के सम्मेलन में देश के केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने राज्यों को सम्बोधित करते हुए जोर देकर कहा की ज्यादातर राज्य महज 3 से 4 रुपए प्रति यूनिट कि दर से बिजली खरीदते हैं और उसे उपभोक्ताओ को रुपया 7 से 8 प्रति यूनिट के हिसाब से बेचते हैं। इसके बावजूद उत्पादन कम्पनियों का बकाया बढ़ रहा है जो चिंता का विषय है। सबसे पहले उत्तर पदेश सरकार को इस बात पर चिंता करना चाहिए, जंहा अब फिक्स्ड चार्ज को शामिल कर देखा जाय तो निचले स्लैब को छोड़ दो तो घरेलु उपभोक्ता की बिजली रुपया 7 से 8 प्रति यूनिट के बीच पहुंच गयी है।
उन्होंने कहा कि अन्य उपभोक्ता की दर तो आसमान छू रही है ऐसे में सरकार को उच्च बिजली प्रबंधन की जबाब देही तय करना चाहिए। दिल्ली सरकार ने 4 साल से बिजली दरों में बढ़ोतरी नहीं की और इस साल दरों में कमी कर मिसाल पेश की ऐसे में उत्तर प्रदेश में फिजूलखर्जी पर रोक लगाने के बजाय हर साल बिजली दर बढ़ोतरी में ही पूरी ताकत बिजली कम्पनियां लगाती हैं?
इस मामले पर उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा उप्र का पावर प्रबन्धन जो सुधार के बड़े-बड़े दावे करता है, अब जब उप्र की बिजली कम्पनियां की कल जो ग्रेडिंग आयी है वह बिलकुल अच्छी नहीं है जब तक बिजली कम्पनियो की ग्रेडिंग बी प्लस से लेकर ए और ए प्लस नहीं आती वह अच्छी नहीं मानी जाती, क्यों की बी प्लस के ऊपर ही कम्पनिया 100 में 65 से लेकर 100 नम्बर पाती है।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में केवल एक बिजली कंपनी केस्को को बी प्लस मिला है तो ऐसे में उपभोक्ता परिषद प्रदेश के मुख्यमंत्री से यह मांग उठाता है कि भविष्य में बिजली कम्पनियों के उच्च प्रबन्धन की जवाब देही तय की जाये और एक तय समय सीमा के तहत उनके द्वारा अच्छा प्रदर्शन न किया जाये तो उनके खिलाफ कठोर कार्यवाही भी की जाये और साथ ही वर्तमान में उप्र की बिजली कम्पनियों की जो ग्रेडिंग खराब आई है, उसके लिये प्रबन्धन के खिलाफ जवाबदेही तय करते हुए कठोर कदम उठाये जायें क्योंकि कम्पनियों के फिसड्डी होने का खामियाजा प्रदेश की जनता को भुगतना पड़ता है।
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