हेलीकॉप्टर दुर्घटना में हताहत हुए जनरल बिपिन रावत व उनकी पत्नी तथा अन्य वीर सैनिकों को श्रद्धासुमन अर्पित व उनकी याद में देशवासियों ने श्रद्धांजलि सभा आयोजित कर उन्हें दुखी मन से अंतिम विदाई दीं।
तमिलनाडु के कुन्नूर में हुए हेलिकाप्टर हादसे में सीडीएस जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी तथा अन्य सैन्य अधिकारियों की मृत्यु एक गंभीर चिंता का विषय है। इसमें चालक समेत कुल चौदह लोग सवार थे। जनरल रावत वेलिंगटन की रक्षा अकादमी में भाषण देने गए थे। खराब मौसम को इस दुर्घटना का कारण बताया जा रहा है। पर इसके असली कारणों का अभी तक पता नहीं चल पाया है। स्वाभाविक ही है कि इस बात को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि एमआई श्रृंखला का यह हेलिकाप्टर आखिर दुर्घटनाग्रस्त कैसे हो गया। सेना इसकी विस्तार से जांच करेगी और इसके कारण भले ही बहुत स्पष्ट रूप से देश के सामने न आएं लेकिन सेना को इतना तो सुनिश्चित करना होगा कि ऐसे हादसे की नौबत फिर न आए।
ऐसे हादसे न केवल इतिहास को नया मोड़ देते हैं बल्कि जरूरी सुधार के लिए विवश भी करते हैं ताकि आगे चलकर ऐसे विनाशकारी परिणाम न भुगतने पड़ें। हालांकि यह कोई पहला विमान हादसा नहीं है। पहले भी कई नामचीन लोग ऐसे हादसों का शिकार हुए हैं लेकिन पिछले तीस सालों में सेना के किसी बड़े अधिकारी का विमान इस तरह दुर्घटनाग्रस्त नहीं हुआ है। इसलिए भी इस हादसे को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।
जनरल रावत चूंकि भारतीय सेना की तमाम रणनीतिक योजनाएं देख रहे थे, पड़ोसी देशों के साथ सीमा विवादों सहित रक्षा परियोजनाओं की रूपरेखा पर उनकी नजर रहती थी, इसलिए उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ऐसे विमान की तैनाती नहीं की जा सकती थी जिसे लेकर किसी प्रकार की आशंका हो। फिर चूक कहां हुई कि ऐसा हादसा हो गया। भारत सैन्य मामलों में कतई अभावग्रस्त नहीं है। अतः देश में विशेष रूप से विशिष्ट लोगों की सुरक्षा और संसाधनों से कोई समझौता नहीं करना चाहिए। हवाई उड़ानों या कहीं पहुंचने की जल्दी से ज्यादा जरूरी है सवारियों की सुरक्षा। हवाई यात्रााओं को दुनिया में सबसे सुरक्षित यात्राओं में गिना जाता है क्योंकि इन यात्राओं की सुरक्षा को पूरी तरह सुरक्षित करने का प्रावधान तय है। ऐसे में यह जरूरी है कि इस दुर्घटना से हम सबक लें और अपने को पहले से अधिक मजबूत करें।