नीतू सिंह
पीलीभीत टाइगर रिजर्व, उत्तर प्रदेश का एक अनमोल रत्न, जंगल सफारी के शौकीनों के लिए स्वर्ग से कम नहीं है। घने जंगल, दुर्लभ वन्यजीव, और प्रकृति की अनछुई सुंदरता के बीच यहाँ का रोमांच हर किसी को मंत्रमुग्ध कर देता है। लेकिन इस रोमांचक अनुभव के साथ-साथ सतर्कता की भी उतनी ही जरूरत है, खासकर मचान के पास, जहाँ जंगल की अनिश्चितता और वन्यजीवों की मौजूदगी हर पल को चुनौतीपूर्ण बना देती है। हाल ही में पीलीभीत टाइगर रिजर्व में मचान के पास पर्यटकों के लिए सख्त नियम लागू किए गए हैं, और कई मचान पूरी तरह बंद कर दिए गए हैं। आइए, इस सफारी के रोमांच, सावधानियों, और कुछ रोमांचक घटनाओं की यात्रा पर चलें।
पीलीभीत टाइगर रिजर्व: एक अविस्मरणीय अनुभव
पीलीभीत टाइगर रिजर्व और इसके पास स्थित सुरई इको टूरिज्म ज़ोन वन्यजीव प्रेमियों के लिए एक खास जगह है। यहाँ का 40 किलोमीटर लंबा जंगल सफारी रूट रॉयल बंगाल टाइगर, भालू, चीतल, सांभर, पैंगोलिन, और 150 से अधिक प्रजातियों के पक्षियों का दीदार कराता है। शारदा सागर डैम और खारजा नहर जैसे प्राकृतिक स्थल इस अनुभव को और भी खास बनाते हैं। इस बार के पर्यटन सीजन में रिकॉर्ड 56,289 सैलानियों ने यहाँ की सैर की, जिनमें 452 विदेशी पर्यटक भी शामिल थे।

हालांकि, 15 जून 2025 से पीलीभीत टाइगर रिजर्व पर्यटकों के लिए बंद हो चुका है, लेकिन सुरई इको टूरिज्म ज़ोन 30 जून तक खुला रहा, जिसने उन लोगों को राहत दी जो टाइगर रिजर्व बंद होने के बाद भी जंगल का रोमांच अनुभव करना चाहते थे।
मचान के पास जाना खतरे से खाली नहीं :
जंगल सफारी में मचान एक महत्वपूर्ण पड़ाव होता है। यह ऊँचाई पर बना वह स्थान है जहाँ से पर्यटक जंगल और वन्यजीवों का नजारा ले सकते हैं। लेकिन यही वह जगह है जहाँ लापरवाही भारी पड़ सकती है। आपका अनुभव, जहाँ किशनपुर रेंज में मचान से उतरते समय सांभर और लंगूर की चेतावनी कॉल ने खतरे का संकेत दिया, इस बात का जीवंत उदाहरण है। ऐसी स्थिति में जिप्सी मीलों दूर लगने लगती है, और हर कदम पर खतरे की आशंका बढ़ जाती है।पीलीभीत टाइगर रिजर्व में अब मचान के पास पर्यटकों को जाने की अनुमति नहीं है, और कई मचान पूरी तरह बंद कर दिए गए हैं। यह निर्णय वन्यजीवों और पर्यटकों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर लिया गया है। मचान के पास वन्यजीवों की सक्रियता अधिक होती है, और सांभर, लंगूर, या अन्य जानवरों की चेतावनी कॉल खतरे का स्पष्ट संकेत होती हैं। इन कॉल्स का मतलब होता है कि आसपास कोई शिकारी, जैसे बाघ या तेंदुआ, मौजूद हो सकता है।
शेर और हाथी से जुड़ी घटनाएँ दिल में पैदा करती हैं रोमांच और दे जाती हैं बड़ा सबक
पीलीभीत टाइगर रिजर्व में बाघों की साइटिंग आम है, लेकिन कुछ घटनाएँ पर्यटकों के लिए जीवन भर की याद बन जाती हैं। हाल ही में, 30 जून 2025 को सुरई इको टूरिज्म ज़ोन में एक रोमांचक घटना घटी। बारिश के बीच सफारी कर रहे पर्यटकों की जिप्सी पर एक बाघ ने मॉक चार्ज किया। ड्राइवर की सूझबूझ और शांतचित्त व्यवहार के कारण कोई हादसा नहीं हुआ, लेकिन यह घटना सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। यह घटना हमें सिखाती है कि जंगल में हर पल सतर्क रहना कितना जरूरी है, खासकर जब आप बाघ जैसे शक्तिशाली शिकारी के इलाके में हों।

इसी तरह, हाथी से जुड़ी एक घटना भी पीलीभीत के जंगल सफारी को और रोमांचक बनाती है। दुधवा टाइगर रिजर्व, जो पीलीभीत के पास ही स्थित है, में इस सीजन के आखिरी दिन (15 जून 2025) पर्यटकों ने हाथियों के झुंड को देखा। हाथी आमतौर पर शांत स्वभाव के होते हैं, लेकिन अगर उन्हें खतरा महसूस होता है, तो वे आक्रामक हो सकते हैं। एक बार किशनपुर रेंज में एक पर्यटक समूह ने मचान के पास हाथियों के झुंड को देखा, लेकिन लापरवाही के कारण वे उनके करीब पहुँच गए। अचानक एक हाथी ने उनकी ओर रुख किया, जिससे पर्यटकों में खलबली मच गई। गाइड की तत्परता और वाहन की उपलब्धता ने स्थिति को संभाला, लेकिन यह घटना मचान के पास सतर्कता की महत्ता को रेखांकित करती है।
कैसे रखें सावधानियाँ और क्या करें :
पीलीभीत टाइगर रिजर्व में सफारी का लुत्फ उठाने के लिए कुछ जरूरी सावधानियाँ बरतनी चाहिए:
- मचान पर सतर्कता: मचान के पास हमेशा गाइड के निर्देशों का पालन करें। अगर सांभर, लंगूर, या अन्य जानवरों की चेतावनी कॉल सुनाई दे, तो तुरंत जिप्सी की ओर लौटें।
नियमों का पालन: पीलीभीत में नियमों का उल्लंघन, जैसे बाघों के बहुत करीब जाना, गंभीर परिणाम दे सकता है। 2024 में ऐसी ही एक घटना में दो गाइड और कई ड्राइवरों को सस्पेंड किया गया था। - सुरक्षा उपकरण: हमेशा जिप्सी में रहें और गाइड द्वारा बताए गए सुरक्षा उपकरणों का उपयोग करें।
- सफारी की बुकिंग: ऑनलाइन बुकिंग के लिए पीलीभीत टाइगर रिजर्व की आधिकारिक वेबसाइट www.pilibhittigerreserve.in का उपयोग करें। सुरई इको टूरिज्म ज़ोन में सफारी का खर्च 4500-5000 रुपये है।
वास्तव में पीलीभीत टाइगर रिजर्व और सुरई इको टूरिज्म ज़ोन जंगल सफारी का एक अविस्मरणीय अनुभव प्रदान करते हैं। बाघों की दहाड़, हाथियों के झुंड, और प्रकृति की गोद में बिताए पल हर सैलानी के लिए यादगार बन जाते हैं। लेकिन मचान के पास लापरवाही और वन्यजीवों की अनदेखी खतरनाक साबित हो सकती है। बाघ के मॉक चार्ज और हाथियों के आक्रामक रुख जैसी घटनाएँ हमें सिखाती हैं कि जंगल की सुंदरता का आनंद लेते समय सतर्कता और नियमों का पालन अनिवार्य है। तो दोस्तों अगली बार जब आप पीलीभीत की सफारी पर जाएँ, तो जंगल के रोमांच के साथ-साथ अपनी सुरक्षा को भी प्राथमिकता दें।








