जिनेवा में दुनिया का सबसे नायाब हीरा 220 करोड़ में नीलाम हुआ यह हीरा 163.41कैरेट का है जो सबसे बेहतरीन क्वालिटी का है
नेपोलियन के मुकुट पर सजा हीरा, जिनेवा में नीलाम
नई दिल्ली16 नवंबर। 16वीं शताब्दी में गोलकुंडा की खान से एक बेहद खूबसूरत गुलाबी हीरा निकाला गया था। इसकी सुंदरता को देखते हुए इस ले ग्रांड माजारिन का नाम दिया गया था। 163.41 कैरेट के इस हल्के गुलाबी रंग के हीरे की चमक एशिया से लेकर यूरोप तक दिखाई दी। इसकी खासियत थी कि यह हीरा नेपोलियन बोनापार्ट समेत फ्रांस के तमाम राजाओं के ताज की शान बना। अब यही शानदार हीरा नीलाम हुआ है।
हल्के गुलाबी रंग के इस हीरे ने फ्रांस की सत्ता में आए उतार-चढ़ाव को देखा है। ले ग्रांड माजारिन को 1661 में फ्रांस के राजा लुई चौदह को भेंट किया गया। इसके बाद फ्रांस का जो भी राजा बना उसने इस हीरे वाले ताज को अपने सिर पर पहना।नीलामी घर क्रिस्टीज यूरोप और एशिया के चैयरमैने फ्रांको कुरी के मुताबिक यह हीरा सुंदरता की चिरकालीन निशानी है,जिसने फ्रांस के सात राजाओं और रानियों के शाही खजाने की शोभा बढ़ाई। इससे भी बड़ी बात यह है कि यह 350 साल तक यूरोपीय इतिहास का गवाह है। यह हीरा अपने आप में एक क्लास है।
यह हीरा दक्षिण भारत में हीरों के लिए मशहूर रही गोलकुंडा की खदान से निकाला गया था। इस हीरे का नाम इटली के कार्डिनल और कूटनीतिक अधिकारी कार्डिनल मजारिन के नाम पर पड़ा। वह फ्रांसीसी राजाई लुई तेरह और लुई चौदह के चीफ मिनिस्टर थे।यहां पर ध्यान रखने वाली बात यह भी है कि गोलकुंडा की खान से कई बेहद खूबसूरत हीरे निकाले गए जो दुनियाभर में कई राजा और रानियों के मुकुट का हिस्सा बने।
इसमें कोहिनूर जो कि ब्रिटेन की महारानी के मुकुट में जड़ा गया और रिजेंट डायमंड भी शामिल है। 1792 में यह हीरा चोरी हो गया था लेकिन बाद में इसको तलाश लिया गया। फ्रांस की क्रांति के बाद यह हीरा नेपोलियन प्रथम और नेपोलियन तृतीय के राजमुकुट का हिस्सा बना।1870 में नेपोलियन तृतीय के पतन के बाद 1887 में यह हीरा पहली बार नीलाम हुआ था। अब 130 साल बाद यह फिर से नीलाम होने के लिए बाजार में मौजूद है।