हसदेव छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े जंगलों में से एक है छत्तीसगढ़ के हसदेव के जंगलों की कटान को लेकर एक बार फिर बड़े पैमाने पर विरोध- प्रदर्शन चल रहा है। हरे-भरे पेड़ों की कटान से हसदेव अरण्य आदिवासी समाज के लोग इसका जबरदस्त विरोध कर रहे हैं लेकिन उनके विरोध का सरकार पर कोई जमीनी असर नहीं दिख रहा है। इस जंगल के कटने के साथ हजारों आदिवासी परिवार व जीव जंतुओं का अस्तित्व संकट में है।
बताया जा रहा है कि इस उजड़ते जंगलों की बर्बादी से बड़ी संख्या में जंगली हाथी और जानवर गावों में जा घुसे हैं, जिससे वहां के निवासियों को भारी जानमाल का नुकसान हुआ हैं। पेड़ों से पक्षियों के घोंसले जमीन पर आ गिरे हैं जिसमें वह अपने अनगिनत बच्चों की जान भी गवां चुके हैं। दैनिक भास्कर मीडिया रिपोर्ट के अनुसार परसा केते कोल माइंस के लिए यह कटान की जा रही है जिससे आवागमन आसान हो सके। लेकिन यहाँ के आदिवासियों का कहना है कि केंद्र सरकार, छत्तीसगढ़ सरकार व अदानी मिलकर आदिवासी हक के अधिकार और अस्तित्व पर सुनियोजित हमला कर रहे हैं। जिससे वह पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं। उनका कहना हैं कि हम इसका पुरजोर विरोध करते हैं और हम हसदेव अरण्य आदिवासी समाज के संघर्ष के साथ खड़े है। उनका कहना है कि हम प्रकृति की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
बताया जाता है कि पिछले दो साल से हसदेव जंगल को उजाड़ा जा रहा है और विगत 662 दिनों से लगातार आंदोलनकारी धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। बता दें कि सोशल मीडिया पर #हसदेव जंगल बचाओ को लेकर बड़े पैमाने पर इसका विरोध चल रहा है।