नयी किताबों में साहित्य के संग वैचारिक विषय और स्त्री विमर्श भी
लखनऊ, 30 सितम्बर: बलरामपुर गार्डन में चल रहे इक्कीसवें राष्ट्रीय पुस्तक मेले में सदाबहार साहित्य तो है ही, नये साहित्य और पुस्तकें भी खूब हैं। उम्रदराज लोगों के संग ही युवा भी साहित्य और वैचारिक किताबों में रुचि दिखा रहे हैं। पिछले दिनों चली वर्षा के बाद मेले के चौथा दिन मौसम खुशनुमा रहा तो साहित्य प्रेमियों के मेला भ्रमण का सिलसिला रात तक चलता रहा।
मेले में आयी नई किताबों में राजपाल द्वारा प्रकाशित 24 पुस्तकों में सुधीर विद्यार्थी की बिदाय दे मा!, देवदत्त पट्टनायक की गरुड़ पुराण, राजेन्द्र राजन की फिल्म से चर्चित हुयी हीरामण्डी और सुशील तंवर की मुखबिर पसंद की जा रही हैं। राजकमल समूह की किताबों में प्रत्यक्षा की अतर दुनिया में क्या हासिल, देवेश की मेट्रोनामा और संजीव की प्रार्थना जैसी पुस्तकों की चर्चा हो रही है।
सेतु प्रकाशन समूह की किताबों में राजू शर्मा की मतिभ्रम, खदीजा मस्तूर की आंगन, प्रेमरंजन अनिमेष की स्त्रीगाथा और थारेय वेसोस के नीलाक्षी सिंह द्वारा अनुवादित बरफ महल नयी किताबें हैं। प्रभात की नयी पुस्तकों में डा.हेमंत राजे गायकवाड़ की शिवाजी महाराज द ग्रेटेस्ट के साथ बेस्ट सेलर अब्दुल कलाम की तेजस्वी मन, आशुतोष राणा की मौन मुस्कान की मार और दि पावर आफ योर सबकांशियस माइंड जैसी पुस्तकों की मांग है।
वाणी प्रकाशन ग्रुप की किताबों में सिमोन द बोव्अर की फ्रेंच से मोनिका सिंह द्वारा हिन्दी में अनुवादित द सेकेण्ड सेक्स, विश्वास पाटील की ग्रेट कंचना सर्कस, गरिमा श्रीवास्तव की हिंदी नवजागरण इतिहास गल्प और स्त्री प्रश्न नयी पुस्तकों में कुछ महत्वपूर्ण किताबें हैं। अन्य स्टालों पर भी नयी किताबें खूब हैं।
साहित्यिक मंच पर आज सुबह अगीत परिषद के तत्वावधान में रत्ना बापुली की पुस्तक भारत की महान नारियां का विमोचन प्रोफेसर डा.उषा सिन्हा की अध्यक्षता में हुआ। यहां समारोह में डा.योगेश के संचालन में महेंद्र भीष्म, सुल्तान शाकिर हाशमी, आरएन तिवारी और शिवमंगल सिंह मंगल ने विचार व्यक्त किये।