छोटी सी चादर, पॉलीथिन और कम्मबल के सहारे गरीब ओवरब्रिज और सड़कों के किनारे ठिठुरन भरी रात काट रहे है बता दें कि रात का तापमान 13 डिग्री से भी नीचे रहता है
ऐसे में हुयी बारिश से सड़क और भीगी होती है और फिर इस असामान्य अवस्था में रात काटना बेहद मुश्किल होता है।
फिलहाल जगह-जगह रैन बसेरे बने है लेकिन इसके बावजूद भी लोग सड़कों पर सोने के लिए मजबूर है ना तो उन्हें कोई पूछने वाला है और ना ही बताने वाला कि आप रैन बसेरे में बसर करें। अलाव तो जल रहे है लेकिन वह हर किसी के लिए नहीं है लोग कोविड की वजह से रेन बसेरों में भी नहीं जाना चाह रहे है। एक वजह यह भी बताई जा रही है।