डॉ दिलीप अग्निहोत्री
नेपाल में संसदीय व्यवस्था है। इसमे सदन का बहुमत ही महत्वपूर्ण होता है। सरकार का अस्तित्व बहुमत पर आधारित होता है। नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहल ‘प्रचंड’ ने संसद से चौथी बार विश्वास का मत हासिल किया है। लेकिन लोकतन्त्र की सफलता इतने मात्र से प्रमाणित नहीं होती। नेपाल की सरकार ने सदन में बहुमत साबित किया। लेकिन सड़क पर उसके प्रति लगातर अविश्वास बढ़ रहा रहा है। घोटालों के आरोप से सरकार की छवि धूमिल हो चुकी है। विपक्षी दलों के हंगामें और नारेबाजी के बीच प्रधानमंत्री प्रचंड ने विश्वास का मत हासिल किया।
प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहल प्रचंड ने संसद में विश्वास मत हासिल करने के लिए प्रस्ताव पेश किया। गतिरोध के बीच मतदान कराया गया। विपक्षी दलों में नेपाली कांग्रेस, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी, जनता समाजवादी पार्टी नेपाल, लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी ने मतदान प्रकिया का बहिष्कार किया। प्रधानमंत्री प्रचंड के पक्ष में मतदान करने वालों में उनकी पार्टी माओवादी के बत्तीस नेकपा एमाले के पछहत्तर, राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी के इक्कीस,एकीकृत समाजवादी पार्टी के दस, जनमत पार्टी के छह नागरिक उन्मुक्ति पार्टी के तीन और कुछ अन्य छोटे दलों के सांसद शामिल हैं।
जिन पार्टियों ने प्रधानमंत्री को सरकार बचाने में सहयोग किया, उन्होंने भी अपनी आपत्ति दर्ज़ कराई है। मतलब सरकार का समर्थन करने वाले भी उससे खुश नही हैं। ऐसे दल सरकार पर दबाव बना रहे हैं। प्रधानमंत्री किसी भी तरह अपनी सरकार को बचाने में लगे है। यही उनका एकमात्र एजेंडा रह गया है। सड़क पर लोगो सरकार के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं। सत्तारूढ़ गठबंधन के प्रमुख घटक दल एकीकृत समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष माधव कुमार नेपाल ने कहा है कि गठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। पार्टी के केन्द्रीय कमेटी की बैठक में माधव नेपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री प्रचंड और केपी शर्मा ओली की तरफ से गठबंधन धर्म का पालन नहीं किया जा रहा है। जनता समाजवादी पार्टी के विभाजन के लिए प्रधानमंत्री प्रचंड और ओली को दोषी बताता गया था। प्रधानमंत्री पार अपने ही सत्तारूढ़ घटक दल का विभाजन करवाकर मंत्रियों को बाहर निकालने के आरोप है।
नेपाल के सत्तारूढ़ गठबंधन में असंतोष बढ़ता जा रहा है। सरकार के घटक दल ही इस गठबंधन के बारे में विरोधी बयान देने लगे हैं। एक सत्तारूढ़ दल का विभाजन होने के बाद अब दूसरे एकीकृत समाजवादी पार्टी ने सरकार से समर्थन वापस लेने का संकेत दिया। सत्ता पक्ष ने अपने ही गठबंधन की एक प्रदेश सरकार गिरा दी है। मधेश प्रदेश में जनता समाजवादी पार्टी नेपाल के नेतृत्व में बनी सरकार से सत्ता में शामिल माओवादी और एमाले ने समर्थन वापस ले लिया है।
समर्थन वापसी के कारण अपनी सरकार गिरने पर जसपा नेपाल के अध्यक्ष उपेन्द्र यादव ने इसे विश्वासघात बताया है। उन्होंने कहा कि सरकार में शामिल प्रमुख घटक दल होने के बावजूद प्रधानमंत्री ने पहले उनकी अनुपस्थिति में पार्टी में विभाजन करवाया और उसके बाद आज एक प्रदेश में रही सरकार को गिरा दिया। उपेन्द्र ने इसे प्रधानमंत्री प्रचंड की राजनीतिक बेइमानी करार दिया है। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल के इस्तीफे की मांग को लेकर डॉ. गोविंद केसी पशुपतिनाथ मंदिर क्षेत्र में आमरण अनशन कर रहे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री प्रचण्ड को युद्ध अपराधी घोषित करने की मांग की है। कहा गया कि सशस्त्र संघर्ष के दौरान मानवता विरोधी, जघन्य अपराधों और युद्ध अपराधों में शामिल एक प्रमुख नेता के रूप में अपनी स्थिति के कारण प्रचंड को प्रधानमंत्री पद से तत्काल इस्तीफा देना चाहिए। सरकार के तरफ से यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि संक्रमणकालीन न्याय की प्रक्रिया निष्पक्ष तरीके से संपन्न हो और इस तरह से पूरी की जाए कि पीड़ितों को न्याय का एहसास हो। लेकिन जब युद्ध अपराधी जब सत्ता का नेतृत्व कर रहा हो तो उससे न्याय की अपेक्षा नहीं की जा सकती है। सशस्त्र द्वंद्व काल के समय पीडित लाखों नेपाली जनता आज भी न्याय का इंतजार कर रही है और युद्ध अपराध करने वाले सत्ता में बैठ कर पीडित के साथ अन्याय कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री प्रचण्ड अपनी सत्ता बचाने के लिए विभिन्न हथकंडा अपना रहे हैं जिससे देश में राजनीतिक अस्थिरता आ गई है। उन्होंने कहा कि सरकार के संरक्षण में ही भ्रष्टाचार फल-फूल रहा है। जनता बुनियादी सुविधा के लिए भी तरस रही है। सरकार संस्थागत रूप से भ्रष्टाचार में लिप्त है। देश में करोडों अरबों रूपए के भ्रष्टाचार का दिन प्रतिदिन खुलासा हो रहा है। सरकार भ्रष्टाचारियों का समर्थन ही नहीं कर ररी है बल्कि उनका संरक्षण भी कर रही है। सहकारी घोटाले की जांच के लिए संसदीय समिति की मांग पर सदन से लेकर सड़क तक सरकार को घेरा जा रहा है। शुरुआत में सत्तापक्ष के साथ संसदीय जांच समिति पर सहमति हो गई थी। लेकिन सदन में गृहमंत्री के बयान से माहौल और अधिक बिगड़ गया है। नेपाल में विपक्षी दल गृहमंत्री लामिछाने को संसद के बजट सत्र में अपना पक्ष रखने देने के लिए तैयार हो गए थे। सहकारी घोटाले में अपनी संलिप्तता के आरोप गृह मंत्री लामिछाने पर हैं। सहकारी घोटाला कांड में फंसे नेपाल के उपप्रधानमंत्री तथा गृहमंत्री रवि लामिछाने के इस्तीफे की मांग जोर पकड़ रही है। रवि लामिछाने के खिलाफ विपक्ष ने कांग्रेस संसद के दोनों सदनों से लेकर सड़क तक मोर्चा खोल दिया है।