- शाहाबाद स्वाभिमान रैली’ में जनतांत्रिक विकास पार्टी ने केंद्र व राज्य सरकार को बनाया निशाना
- कहा :शाहाबाद की उपेक्षा अब नहीं होगी बर्दाश्त
बक्सर, 23 नवंबर 2018: जनतांत्रिक विकास पार्टी और शाहाबाद स्वाभिमान मंच के तत्वावधान में बक्सर के किला मैदान में आयोजित शाहाबाद स्वाभिमान रैली के दौरान केंद्रीय विश्वविद्यालय, एम्स और कमिश्नरी की मांग प्रमुखता से उठाई गई। इस विशाल सभा को संबोधित करते हुए जनतांत्रिक विकास पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल कुमार ने कहा कि शाहाबाद स्वाभिमान रैली का मूल मुद्दा शाहाबाद के हक की लड़ाई, जिसकी अब तक निरंतर उपेक्षा हो रही है।
इस दौरान उन्होंने नीतीश कुमार के कार्य करने के तरीके पर सवाल खड़े करते हुए पूछा कि ज्ञान, कर्म, शौर्य, धैर्य और स्वाभिमान की अनुपम भूमि शाहाबाद के साथ सरकारें सौतेला व्यवहार क्यों कर रही हैं? क्यों आज भी यहां कोई बड़ा सरकारी मेडिकल कॉलेज या, एम्स नहीं? छोटी बीमारी के उपचार के लिए भी राजधानी पटना या, राज्य से बाहर बनारस में दर-दर क्यों भटकना होता है?
क्यों यहां कोई उद्योग नहीं?
उन्होंने पूछा कि क्यों यहां युवाओं की शिक्षा के एक राष्ट्रीय स्तर का कॉलेज नहीं? क्यों यहां आदर्श विद्यालय नहीं? क्यों यहां एक केंद्रीय विश्वविद्यालय नहीं? शिक्षा के लिए पलायन कर अपनी मिट्टी से दूर दूसरे राज्य जाने को मजबूर हैं हमारे बच्चे। वहां सैकड़ों करोड़ खर्च भी करते हैं, उत्पीड़न-जिल्लत भी झेलते हैं। क्यों यहां कोई उद्योग नहीं? रोजी-रोटी के लिए हमारे शिक्षित, गुणवान, शौर्यवान, क्षमतावान युवा देश भर में पलायन को क्यों हैं मजबूर? क्यों वह हैं अपनी ही मां, माटी से दूर? न खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, महापुरुषों की भूमि, आद्यात्म का केंद्र पर्यटन उद्योग से महरूम, निर्माण सामग्री के कच्चे माल का प्रमुख केंद्र शाहाबाद में एक भी उद्योग केंद्र नहीं।
श्री कुमार ने कहा कि शाहाबाद आजतक कमिश्नरी क्यों नहीं बना ? कमिश्नरी मुख्यालय जाने के लिए 250 किमी तक की दूरी तय करनी होती है। यह रिकॉर्ड है। बिहार में कहीं ऐसा नहीं है। क्यों यहां का धान का कटोरा खाली हो गया? एक मीटर नहर की लंबाई क्यों नहीं बढ़ी? किसानों को नहरों से पानी क्यों नहीं? फसल का लाभकारी मूल्य क्यों नहीं मिला? धान की सरकारी खरीद भ्रष्टाचार का गोरखधंधा बनकर क्यों रह गया?
उन्होंने कहा कि हम सब शाहाबाद के स्वाभिमान को जगाने आज बक्सर के किला मैदान में लाखों की तादाद में जुटें हैं। अब “शाहाबाद अब बोलेगा, दिल्ली पटना डोलेगा।”