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आँधियाँ अक्सर कच्चे आम गिरा देती हैं। बचपन के वे दिन याद आ गए जब पकने के इंतज़ार में बग़ीचा ऐसे ही आमों से बिछ जाता था। उस समय ख़ुशियाँ इसमें ही होती थी कि इन टूटे आमों को कौन कितना लूट कर घर लाता है। मीठे आम न सही खट्टे अचार ही सही। आज आंधी में गिरे आम शर में 15 रुपये किलों बिक रहे हैं।