दोस्ती की कोई सटीक परिभाषा नहीं होती लेकिन सच्चे दोस्त वही होते हैं, जो बुरे वक्त में अपने दोस्तों का साथ नहीं छोड़ते या कम से कम दोस्त के बुरे वक्त की वजह नहीं बनते। हम सभी में अच्छाई और बुराई दोनों ही होती हैं। एक दोस्त हमें हर तरह से स्वीकार करता है।
मौका पड़ने पर किसी मार्गदर्शक की तरह ही दोस्त हमारी मदद करता है। जिनके चलते कोई इंसान कभी भी किसी का सच्चा दोस्त नहीं बन सकता। हमेशा अपना भला सोचना-हर कोई अपना भला चाहता है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम हमेशा स्वार्थी बने रहकर किसी भी कीमत पर अपना ही भला चाहते हों। स्वार्थी लोग जो दूसरों का बुरा करने की कीमत पर अपना भला चाहते हैं, वे कभी भी किसी के अच्छे दोस्त नहीं बन सकते।
जलन की भावना-आपने अपने आसपास ऐसे कई लोगों को देखा होगा, जिनमें जलन की भावना होती है। वे हर किसी की उपलब्धियों पर जलते रहते हैं। ऐसे लोग दोस्तों की अचीवमेंट पर भी खुश नहीं हो पाते क्योंकि ऐसे लोग इनसिक्योर होते हैं। इस आदत वाले लोग कभी भी सच्चे दोस्त नहीं बन सकते। मतलब की दोस्ती – कई लोग दोस्तों या फिर लोगों को सीढ़ियों की तरह इस्तेमाल करते हैं। वे हमेशा अपना मतलब निकालने के लिए दोस्ती करते हैं और मतलब पूरा होने पर सामने वाले इंसान में कमियां निकालकर निकल लेते हैं।
ऐसे लोग कभी भी किसी के दोस्त नहीं बन सकते। भेदभाव करना-कई लोगों की आदत होती है कि वे हर किसी को खुद से कमतर समझते हैं। छोटी सोच का परिचय देते हुए इनकी हर बात पैसों, बैकग्राउंड, जाति, धर्म, क्षेत्र से होकर गुजरती है। ऐसे भेदभाव करने वाले लोग कभी भी किसी के दोस्त नहीं बन सकते।