- बिहार के प्रमुख सचिव ऊर्जा व अध्यक्ष संजीव हंस के घर पर पड़ी ईडी की रेड के बाद हुआ खुलासा
- उपभोक्ता परिषद ने स्मार्ट प्रीपेड मीटर की पूरी परियोजना की सीबीआई से जांच की मांग की, कहा- स्मार्ट मीटर निर्माता कंपनियों की विश्वसनीयता में आ रही कमी
- उत्तर प्रदेश में 25000 करोड के टेंडर पर भी मुख्यमंत्री से उपभोक्ता परिषद ने मांग रखी कहा सख्त नजर रखी जाए कहीं कोई न होने पाए खेल
लखनऊ 29 जुलाई : जहां पूरे देश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर को लेकर नए-नए खुलासे हो रहे हैं वही गुजरात और महाराष्ट्र में विद्युत उपभोक्ताओं के यहां अभी स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने पर वहां की सरकार द्वारा रोक लगाई गई है, क्योंकि उपभोक्ता इस बात का विरोध कर रहे थे कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर ठीक से काम नहीं कर रहा हो तेज चल रहा है वहीं दूसरी ओर पिछले सप्ताह बिहार में 1997 बैच के आईएएस ऑफिसर संजीव हंस जो प्रमुख सचिव ऊर्जा के साथ-साथ बिहार बिजली कंपनियों के सीएमडी भी है के यहां किसी मामले में ईडी ने छापे डालें उसके बाद एक बडा खुलासा जो हुआ है वह चौंकाने वाला है 25 जुलाई को मीडिया रिपोर्ट में बडे पैमाने पर ईडी की जांच को लेकर यह खुलासा हुआ कि संजीव हंस की सख्ती की वजह से बिहार में प्रीपेड मीटर की इतनी डिमांड बढाई गई की मीटर वालों ने उन्हें एक मर्सिडीज गाडी गिफ्ट कर दी।
अब सवाल यह उठना है कि बिहार में जो कंपनियां मीटर लगा रही है उसमें से कुछ कंपनियां उत्तर प्रदेश में भी स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगा रही है जिस प्रकार से स्मार्ट मीटर निर्माता कंपनियों की विश्वसनीयता आ रही है सामने ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार व प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री जी से उपभोक्ता परिषद या पुरजोर मांग उठाता है कि उत्तर प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर का जो काम है वह लगभग 25000 करोड से ऊपर का है शुरू से लेकर चाहे वह मीटर को अधिक दरों पर टेंडर देने का मामला रहा हो चाहे चीनी जीटीपी अनुमोदित करने का मामला रहा हो या फिर बैंक गारंटी को 10 से 3 प्रतिसत करने का मामला रहा हो या फिर बिना आईटी पार्ट इंटीग्रेशन क्लेरेंस के ही मीटर लगाने का मामला रहा हो निश्चित तौर पर यह बड़ा जांच का विषय है और इस पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए की कही उत्तर प्रदेश में भी तो यह मीटर कंपनियां कोई खेल तो नहीं कर रही है ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार को और केंद्रीय जांच एजेंसी को उत्तर प्रदेश पर भी खास नजर रखना चाहिए।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सरकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा उपभोक्ता परिषद लंबे समय से उत्तर प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर के पूरे प्रकरण की सीबीआई से जांच करने की मांग लगातार उठा रहा है क्योंकि भारत सरकार द्वारा स्मार्ट प्रीपेड मीटर का जो बेस रेट रुपया 6000 प्रति मीटर तय किया गया था उत्तर प्रदेश में उससे कहीं ज्यादा रुपया 8000 से ऊपर प्रति मीटर की खरीद की गई है आज भी यदि इसको चेक कराया जाए तो इसमें ज्यादातर चीनी कंपोनेंट के मीटर मैं लगे हैं लेकिन उसे कोई देखने वाला नहीं है जो अपने आप में बडा सवाल उठता है।
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा इसके पहले भी उत्तर प्रदेश में 40 लाख स्मार्ट मीटर एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड जो इन टैली स्मार्ट की पैतृक कंपनी है और टेंडर दिया गया था जिसमें से वह लगभग 12 लाख स्मार्ट प्रीपेड मीटर पुरानी तकनीकी का लगाकर और इसके बाद चुपचाप बैठ गई आज तक पुरानी तकनीकी के स्मार्ट प्रीपेड मीटर को नई तकनीकी में कन्वर्ट नहीं किया गया उसका खामियाजा उपभोक्ता भुगत रहे कोई देखने वाला नहीं है ऐसे में इस परियोजना का बिहार आगे यही होने वाला है यदि इसमें उदासीनता बरती जाती रही ।