बुंदेलखंड के प्रसिद्ध डॉक्टर पवन कुमार विश्वकर्मा ने दी सलाह
यह विश्व में पहला ऐसा दौर होगा जिसमें पूरा विश्व डरा और सहमा हुआ सा है। प्रगति के लिये निरंतर मशीनों सा बना मानव आज घरों में बंद है, देशों में लॉकडाउन की स्थिति है। विकास का पहिया एकाएक थम सा गया है। ऐसा भयंकर संक्रमण जो वर्तमान में अपराजेय है बस दिन-रात फैल ही रहा है। सरकारें सोशल दूरियाँ बनाने की सलाह दे रही हैं बहुत से लोग इसका पालन भी कर रहे हैं और बहुत से लोगों पर इस सलाह का कोई प्रभाव भी नहीं पड़ रहा है। भारत में मौसम परिवर्तन आम है, और वर्तमान दौर भी मौसम परिवर्तन से गुजर रहा है। यहाँ मौसम परिवर्तन में सर्दी-खाँसी-जुकाम होना आम बात है। यह बच्चों से लेकर बूढ़ों सबको होता है। इससे मिलते-जुलते लक्षण इस नयी महामारी (कोविड19) के भी हैं।
आज साधारण फ्लू से भी लोगों का दिल काँप उठता है। घरों में बंद लोग इस साधारण फ्लू को लेकर भी भयभीत नज़र आते हैं। वो असमंजस की स्थिति में घरों में ही रहकर अपनों से थोड़ा दूरियाँ बनाते हैं लेकिन पूरा परिवार खौफ के साये में गुजर रहा होता है। कि शायद साधारण हो और अस्पताल में लेकर जायें औऱ वहाँ कोई कोरोना का मरीज हो तो कहीं सचमुच का कोरोना न लें आयें। क्योंकि यहाँ न मास्क हैं, न ग्लब्स, न सैनेटाईजर! ऐसे में बाहर निकलने वाला व्यक्ति खुद को कैसे सुरक्षित समझे, यह समझ कर वह घर में ही रहकर खौफ में जी रहा है। एक साधारण सी छींक भी आज मानवीय दिलों में भय पैदा कर देती है। जिनके पास या जानने वाले डॉक्टर हैं वो तो मोबाईल के जरिये उनसे सलाह ले सकते हैं। लेकिन आज भी बहुत से लोग हैं जिनका चिकित्सकों से कोई टचमेंट नहीं है। ऐसे में इन बहुत से लोगों को इस दौर में बहुत ही मानसिक तकलीफ उठानी पड़ रही है।
इसी बड़ी समस्या के समाधान व आम वायरल संक्रमणों से बचाव को लेकर बुंदेलखंड के एक प्रसिद्ध चिकित्सक व समाजसेवी डॉक्टर पवन कुमार विश्वकर्मा (असिस्टेंट प्रोफेसर, बुंदेलखंड राजकीय आयुर्वेदिक कालेज झाँसी) ने कुछ उचित सलाह दी हैं।
उन्होंने बताया कि संक्रामक रोगों से बचाव के लिए जरूरी है कि सभी व्यक्तियों में रोग प्रतिरोधक क्षमता की वृद्धि की जाए। इस समय वसंत ऋतु चल रही है, जिसमें श्लेष्मा के प्रकुपित होने की ज्यादा संभावना रहती है। जिससे व्यक्ति को भूख ना लगना, श्वसन विकार जैसे जुकाम, खांसी, अस्थमा आदि होने की अधिक संभावना रहती है। रोग प्रतिरोधक क्षमता की वृद्धि तभी हो सकती है जब हम निम्न चीजों पर ध्यानपूर्वक अमल करें जैसे -इस ऋतु में ऐसे आहार विहार से बचना चाहिए जोकि श्लेष्मा को प्रकुपित करने वाले हों क्योंकि प्राकृत श्लेष्मा को ही आयुर्वेद में शरीर का बल कहा गया है। अतः हमें इस ऋतु में दिन में सोना, शीतल जल, दही एवं देर से पचने वाले खाद्य पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए। भोजन ताजा एवं गर्म ही लेना चाहिए वा ठंडा एवं बासी भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। मल मूत्र के त्याग व मुख शुद्धि (मंजन) करने के पश्चात गुनगुने जल का सेवन करना चाहिए। पुराने अनाज का उपयोग करना चाहिए। संतुलित एवं एवं समय पर आहार ग्रहण करना चाहिए। नियमित रूप से व्यायाम एवं योग करना चाहिए।
निम्न आयुर्वेदिक औषधियों का उपयोग चिकित्सक के परामर्श के उपरांत किया जा सकता है। जैसे- अगस्त्य हरीतकी, च्यवनप्राश अवलेह, संशमनी वटी। 5 ग्राम त्रिकटु चूर्ण को 3-4 तुलसी पत्र के साथ 1 लीटर पानी में आधा रहने तक उबालें फिर इसे छानकर रख ले व दिन में थोड़ा-थोड़ा पीना चाहिए। अणु तेल या तिल तेल को दो-दो बूंद दोनों नासिका में सुबह डालें। नियमित रूप से घरों की सफाई करने के उपरांत हवन एवं धूप करना चाहिए। धूपन हेतु गुग्गुलु, सफेद सरसों, हरिद्रा, तुलसी, नीम, शिग्रु, घी आदि का प्रयोग करना चाहिए।
रात्रि में देर से भोजन नहीं करना चाहिए व रात्रि जागरण से बचना चाहिए। ऐसा करने से हम आम वायरल संक्रमण व आम फ्लू से तो बच ही सकते हैं साथ ही प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत होने से अन्य कई प्रकार के रोगों से भी बच सकते हैं। हो सकता है यह इस नयी महामारी के खिलाफ भी ढाल का काम करे किन्तु इस नयी महामारी से बचने के लिये सरकार द्वारा जारी गाईडलाईन बहुत जरुरी है क्योंकि वर्तमान दौर में यह वायरस अपराजेय है। हाँ! इस संक्रमण के लक्षण साधारण फ्लू से कुछ अलग हैं। गले में दर्द व साँस लेने में तकलीफ तथा शरीर का तापमान।
प्रारंभिक दिनों में तो लक्षण समान से नज़र आने के कारण ही यह जल्द पहचान में नहीं आ पाता और तब तक अगर कोई कोविड19 से संक्रमित व्यक्ति हुआ तो वो कई लोगों को अंजाने में संक्रमित कर सकता है। घरों में भी हम सरकार की गाईडलाईन का पालन कर सकते हैं अगर किसी को साधारण फ्लू भी हो रहा है तो वो घर में भी रहकर सामाजिक दूरी बरत सकता है। अगर दो तीन दिन बाद समस्या बढ़ रही है गले में दर्द व साँस लेने में तकलीफ व शरीर का तापमान कम नहीं हो रहा तब आप सरकार द्वारा जारी हेल्पलाईन नंबर पर काल करके अपनी स्थिति के बारे में अवगत करायें। या आपके पास मोबाईल नहीं है तो अपने आस-पड़ोस वालों से कहें वो आपकी मदद कर देंगे।
- राहुल कुमार गुप्त