अनसुना किस्सा : अनुराग प्रकाश
काफी पुरानी बात है सर्दियों में एक रात दुधवा टाइगर रिजर्व के पास बंसी नगर गांव में अपने घर के बाहर बैठा आग ताप रहा था। मेरे साथ कुछ ग्रामीण भी बैठे थे। जंगल की बातें चल रही थी तब उनमें से एक ने भूत प्रेत की कहानियों के ऊपर बातचीत शुरू कर दी।
तभी उनमें से एक ने कहा कि मैं आपको अपनी एक घटना बताता हूं। हम चार लोग जंगल से सूखी लकड़ी बीनने गए थे । जंगल के अंदर हम लोग बातें करते हुए साथ-साथ आगे बढ़ रहे थे।
जंगल में खड़ी हुई खागर (बड़ी घास) को हम हाथ से हटाते आगे बढ़ रहे थे। तभी एक जगह की खागर को हमने जैसे ही हटाया तो थोड़ी दूर पर हमें एक बाघ बैठा दिखाई दिया जिसने एक जंगली सूअर का शिकार किया हुआ था । उसका पूरा मुंह खून से लाल हो रहा था बहुत खौफनाक लग रहा था वो मानो साक्षात मौत।
उस बाघ को देखकर हम लोगों की रूह कांप गई। हम लोगों ने सोचा अब तो हम लोगों की जान गई। लेकिन बाघ अपने शिकार को खाने में इतना मस्त था कि वह अपनी जगह से हिला तक नहीं। हम लोग उसे देखने के बाद घबराकर पीछे होते गए और उसके बाद जिसको जिधर रास्ता मिला वो उधर भागा। इसी भगा दौड़ी में हम लोग अलग-अलग हो गए है दो लोग अलग और दो लोग अलग ।
घबराहट में भगाने के चक्कर में हम लोग जंगल के अंदर की तरफ निकल गए और वहीं पर हमें जंगल के भूत जिसे हम मतकटा कहते हैं , ने हमें पकड़ लिया । उसने हमारी मति काट दी थी। हम चाह कर भी जंगल से बाहर नहीं निकल पा रहे थे।
हम जंगल में लगातार चलते जा रहे थे थकान और भूख प्यास से हमारा बुरा हाल हो रहा था। पानी तो एक जगह तालाब में हमें मिल गया था लेकिन खाने की कोई चीज ना मिली हमें जंगल में और हम जिधर भी चल रहे थे हमें रास्ता नहीं मिल रहा था। पूरा दिन भटकने के बाद शाम को हम हताश होने लगे और हमने सोचा अंधेरा होने से पहले हम किसी पेड़ पर बैठ कर रात काट लेंगे और सुबह फिर जंगल से बाहर निकलने की कोशिश करेंगे।
हम ये सब सोच ही रहे थे तभी हमें कुछ दूर एक साइड से बस के हॉर्न की आवाज सुनाई दी । तब हम समझ गए कि अब रोड हमारे पास ही है। हम तेजी से उस ओर चले और कुछ मिनट में ही हम गौरीफांटा मैंन रोड पर आ गए थे। घबराहट में बस को रुकवाने के लिए हम लोग बीच रोड में आ कर खड़े हो गए। तब बस वाले ने बस रोकी और हमें उसमें बैठा लिया। तब जाकर हम घर वापस आ पाए ।
जिसे वह लोग मतकटा भूत मानते हैं असल में वह दिशा भ्रम होता है । जंगल में अगर हम एक बार भटकते हैं और हमें जंगल के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है तो हमारा बाहर निकलना बेहद मुश्किल हो जाता है । लेकिन गांव वाले इस स्थिति को कहते हैं कि हमें मत कटे भूत ने पकड़ लिया।