- लखनऊ पुस्तक मेला: साहित्य, काव्य, और सामाजिक चेतना का संगम
- काव्य रस के बीच डाक्टरों के नुस्खे और विमोचन समारोह
लखनऊ, 12 सितंबर 2025: बलरामपुर गार्डन, अशोक मार्ग पर चल रहे 22वें राष्ट्रीय पुस्तक मेले में सुहावने मौसम के बीच साहित्य प्रेमियों का उत्साह चरम पर रहा। मेले में स्कूल-कॉलेज के विद्यार्थियों से लेकर बुजुर्ग साहित्य रसिकों तक की भीड़ ने नई किताबों और विचारों की खोज की। समापन की ओर बढ़ते इस मेले में कथा साहित्य, करियर आधारित पुस्तकें, और काव्य रस की रचनाओं ने सभी का ध्यान खींचा।
साहित्य और काव्य का उत्सव
मेले में बोधरस के स्टाल पर रमाकांत की पौराणिक गाथा एकदंत और अमित तिवारी की माया मरी न मन मरा के नए संस्करण ने पाठकों का दिल जीता। गायत्री ज्ञान मंदिर के स्टाल पर आचार्य श्रीराम शर्मा की सैकड़ों पुस्तकें आकर्षण का केंद्र रहीं। दिन की शुरुआत अनागत साहित्य संस्थान के काव्य समारोह से हुई, जहां डा. अजय प्नसून और बेअदब लखनवी की पुस्तकों का विमोचन हुआ। नवोदय साहित्यिक और रमा साहित्यिक संस्था के संयुक्त आयोजन में डा. शिवमंगल सिंह मंगल की अध्यक्षता में काव्य गोष्ठी हुई। इसमें सरवर लखनवी, अरविंद झा, संदीप अनुरागी, कमलेश मृदु मौर्य, और अन्य कवियों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
महाराज सिंह भारती की कालजयी रचनाओं का विमोचन
मेले का एक प्रमुख आकर्षण रहा वरिष्ठ लेखक भगवान स्वरूप कटियार द्वारा संपादित और सम्यक प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पूर्व विधान परिषद सदस्य महाराज सिंह भारती की रचनाओं सृष्टि और प्रलय और उनके समग्र लेखन के पहले भाग का विमोचन। सुहेल वहीद के संचालन में हुए विमर्श में लमही के संपादक विजय राय, राकेश वेदा, शकील सिद्दीकी, और अशोक चंद्र ने भारती की रचनाओं को सामाजिक चेतना और समकालीनता का प्रतीक बताया। वक्ताओं ने उनकी लेखनी को समाज के लिए प्रेरणादायक करार दिया।
स्वास्थ्य और साहित्य का अनूठा संगम
स्वास्थ्य जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए अच्छे स्वास्थ्य के 51 नुस्खे और हाफ डाक्टर पुस्तकों का विमोचन हुआ। लेखक डा. संदीप कुमार और अजय अग्रवाल ने डा. अभिषेक शुक्ला, डा. अनिल कुमार शुक्ला, और अन्य चिकित्सकों की उपस्थिति में बीमारियों और उनके इलाज पर प्रकाश डाला। इस सत्र में लेखिका विनीता मिश्रा ने भी अपनी बात रखी। दलित स्त्री लेखन पर सार्थक चर्चामेले में सामाजिक मुद्दों पर भी गहन विमर्श हुआ। दलित स्त्री लेखन और वर्तमान विषय पर अनिता भारती, डा. शैलेंद्र, डा. प्रियंका सोनकर, प्रो. सुप्रिया पाठक, और रविंद्र भारतीय ने दलित स्त्रियों के साहित्य और उनकी वर्तमान स्थिति पर विचार व्यक्त किए। इस सत्र ने सामाजिक समानता और साहित्य में दलित आवाजों की महत्ता को रेखांकित किया।
गांधी, बोस, और विवेकानंद पर संगोष्ठी
वसुंधरा फाउंडेशन की ओर से पद्मश्री डा. विद्याविंदु सिंह की अध्यक्षता में ‘गांधी, बोस, भगत, विवेकानंद- हमारे पथप्रदर्शक’ विषय पर संगोष्ठी आयोजित हुई। इसमें वरिष्ठ पत्रकार आनंदवर्धन सिंह, साहित्यकार अखिलेश श्रीवास्तव चमन, और अन्य वक्ताओं ने इन महान हस्तियों के विचारों को आधुनिक संदर्भ में प्रासंगिक बताया। काव्य की सांझशाम को आभूषण काव्यात्मक अभिव्यक्ति पटल की काव्य गोष्ठी ने साहित्य प्रेमियों को एक बार फिर काव्य रस में डुबो दिया। इस आयोजन ने मेले के सांस्कृतिक और साहित्यिक माहौल को और समृद्ध किया।
लखनऊ का यह पुस्तक मेला न केवल साहित्य और काव्य का उत्सव रहा, बल्कि सामाजिक चेतना, स्वास्थ्य जागरूकता, और सर्वधर्म संभाव की भावना को भी बढ़ावा देने वाला मंच साबित हुआ। युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक, हर वर्ग के लिए इस मेले में कुछ न कुछ खास रहा।