माँ के नवरात्रे आते हैं,
हर संवत्सर दो-दो बार।
माँ का होता पूजन-अर्चन,
माँ की होती जय-जयकार।
माँ के नवरात्रे आते हैं,
हर संवत्सर दो-दो बार।
पहले चैत्र मास में आते,
दूजे अश्विन में पड़ जाते।
ऋषि-मुनि,वेद,पुराण मनाते।
हरि-हर,ब्रह्मादिक गुण गाते।
अनुपम माता का दरबार,
माँ की होती जय जयकार।
माँ का होता पूजन………।
देवी दुर्गा शक्ति स्वरूपा,
माँ के हैं नवरूप अनूपा!
नवों रूप में मातु सुहाए,
सभी रूप माँ लगे सुरूपा।
माँ की शोभा अपरंपार,
माँ की होती जय जयकार।
माँ का होता पूजन………।
शैलपुत्री शैलजा माता,
प्रथम दिवस है पूजा जाता।
कलश थापते,ज्योति जगाते,
धूप-दीप,नैवैद्य चढ़ाते।
करती माँ सबका उद्धार,
माँ की होती जय-जयकार।
माँ का होता पूजन………।
जिन द्वितीया को पूजा जाता,
वह हैं ब्रह्मचारिणी माता।
बाएँ हाथ कमण्डल साजे,
दाएँ पुष्प हार है भाता।
करती सपनों को साकार,
माँ की होती जय-जयकार।
माँ का होता पूजन………।
चन्द्रघंटा शान्ति प्रदाता,
तृतीया को है पूजा जाता।
अष्टसिद्धि-नवनिधि की दाता,
सिंहवाहिनी अभय प्रदाता।
करती भव सागर से पार,
माँ की होती जय जयकार।
माँ का होता पूजन………।
चौथा रूप है कूष्माण्डा,
रचनाकार सकल ब्रह्माण्डा।
आदिशक्ति माँ,आदि भवानी,
अष्टभुजी माता कल्याणी।
विनती करती हैं स्वीकार,
माँ की होती जय जयकार।
माँ का होता पूजन………।
पाँचवीं माँ स्कन्दामाता,
रविमण्डल तुमको नित ध्याता।
दिव्य तेजमण्डल अति भाए,
रविमण्डल तेरे गुण गाए।
पूजन करना माँ! स्वीकार,
माँ की होती जय जयकार
माँ का होता पूजन………।
छटवें दिन पूजित कात्यायनी,
चतुर्भुजी माँ शुभ वरदायिनी।
गौर वर्ण माँ स्वर्णिम आभा,
पूजत मिलें चतुर्दिक लाभा।
भरती भक्तों के भण्डार,
माँ की होती जय जयकार।
माँ का होता पूजन………।
कालरात्रि माँ असुर विनाशिनी,
संतजनन की अभयप्रदायिनी।
रूप मातु का अति विकराला,
चपला सम चमके गलमाला।
माँ की महिमा अपरंपार,
माँ की होती जय जयकार।
माँ का होता पूजन………।
महागौरी माँ वृषभ सवारी,
श्वेत वस्त्र,आभूषणधारी।
सिद्धिदात्री माँ, सिद्धिप्रदाता,
दिन नवमी हैं पूजित माता।
माँ का सजा हुआ दरबार,
माँ की होती जय जयकार।
माँ का होता पूजन………।
राम,लखन,सिय जय जयकारे,
सिया खोज में रावण मारे।
विजयादशमी पर्व दशहरा,
खिली अयोध्या ,फिर ध्वज फहरा।
सज गया राम-सिया दरबार,
चहुँदिशि हो रही जय जयकार।
माँ का होता पूजन-अर्चन,
माँ की होती माँ की जय जयकार।
पुष्पा जोशी ‘प्राकाम्य’, ऊधम सिंह नगर, उत्तराखंड