भरोसा मत करो साँसों की डोरी टूट जाती है
छतें महफ़्ज़ रहती हैं हवेली टूट जाती है
लड़कपन में किये वादे की क़ीमत कुछ नहीं होती
अँगूठी हाथ में रहती है मँगनी टूट जाती है
किसी दिन प्यास के बारे में उससे पूछिये जिसकी
कुएँ में बाल्टी रहती है रस्सी टूट जाती है
कभी एक गर्म आँसू काट देता है चटानों को
कभी एक मोम के टुकड़े से छैनी टूट जाती है…..
– पुष्पपेन्द्र सिंह