डॉ दिलीप अग्निहोत्री
विक्टर नारायण विद्यांत ने लखनऊ में अनेक शिक्षण संस्थाओं की स्थापना की थी। बीएन विद्यांत के पिता ने प्रसिद्ध चारबाग स्टेशन का निर्माण कराया था। लेकिन इनकी मंजिल अलग थी। इन्होंने उस सम्पत्ति से लखनऊ को छह शिक्षण संस्थाओं की सौगात दी। भौतिक सुविधाओं का अभाव कष्टप्रद होता है। यह जानते हुए भी अनेक लोगों ने अपनी सम्पदा समाज के कल्याण हेतु समर्पित कर दी, सब कुछ दान में दे दिया, और स्वयं अभाव में ही प्रभाव का अनुभव करने लगे। लखनऊ के विक्टर नारायण विद्यांत ऐसे ही महापुरुष और समाजसेवी थे। लखनऊ की पहचान से उनके परिवार का नाम जुड़ा है।
प्रसिद्ध चारबाग रेलवे स्टेशन भवन का निर्माण उनके पिता और चाचा ने किया था। ब्रिटिश काल में वह सरकारी कॉन्ट्रेक्टर थे। गोमती का भव्य पक्का पुल, आदि अनेक निर्माण कार्य किये। विक्टर नारायण का भी जीवन वैभव से पूर्ण था। विदेशी वाहन, चांदी के बर्तन, सेवक, हवेली आदि सभी सुविधाएं थी। लेकिन एक समय ऐसा भी आया कि उन्हें इस सबसे विरक्ति हो गई।
उन्होंने अपनी समूर्ण सम्पत्ति विद्यांत सहित अनेक विद्यालयों के खोलने में लगा दी। अपने लिए जीनव की न्यूनतम जरूरतों के अलावा कुछ नहीं रखा। विक्टर नारायण के पितामह राम गोपाल विद्या कोलकत्ता में रहते थे। उनकी विद्वता के लिए उन्हें अनंत वागेश्वरी विद्यांत की उपाधि से सम्मानित किया गया था, तभी से यह उनके परिवार का उपनाम हो गया था। उनके दोनों पुत्रों ने व्यवसाय के लिए लखनऊ को चुना था। फिर यहीं के होकर रह गए। बीसवीं शताब्दी के पहले भाग के दौरान चारबाग रेलवे स्टेशन, पक्का पुल, इलाहाबाद बैंक और हजरतगंज में सेंट्रल बैंक भवनों आदि के रूप में इसकी वास्तुकला को आकार दिया। राम गोपाल जी के पुत्र हरि प्रसाद विद्यांत ने अपने भाई के साथ मिलकर यह सब निर्माण कार्य किया था। उनके एकमात्र पुत्र विक्टर नारायण विद्यांत थे।
पांच जनवरी अठारह सौ पच्चासी में उनका जन्म हुआ था। उन्होंने एमएससी, एलएलबी की डिग्री उच्च श्रेणी में प्राप्त की। उन्हें शासन ने मानद मजिस्ट्रेट का पद दिया था। विक्टर नारायण ने उन्नीस सौ अड़तीस में विद्यांत हिंदू स्कूल की स्थापना की थी। उन्होंने बंगाल के बाहर एकमात्र बंगाली राजा राजा दक्षिणा रंजन मुखर्जी और नवाब वाजिद अली शाह के पिता नवाज अमजद अली शाह के उत्तराधिकारियों से परिसर को खरीदा था। इसके बाद उन्निया सौ चवालीस में हाई स्कूल में और इसके एक वर्ष बाद इंटरमीडिएट कॉलेज की स्थापना हुई। उन्नीस सौ चौवन में, उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से संबद्ध डिग्री कॉलेज के रूप में बैचलर ऑफ आर्ट्स पाठ्यक्रम शुरू किया।
वर्ष उन्नीस सौ चौहत्तर में, बैचलर ऑफ कॉमर्स कोर्स शुरू किया गया था। दो हजार छह में, कॉलेज को मास्टर ऑफ आर्ट्स इतिहास और मास्टर ऑफ कॉमर्स पाठ्यक्रमों के उद्घाटन के साथ पोस्ट ग्रेजुएट स्तर पर अपग्रेड किया गया था। विक्टर नारायण विद्यांत ने अपने मौसा शशिभूषण जी की स्मृति में उन्हीं के नाम पर विद्यालय की स्थापना की। वह बनारस एंग्लो बंगाली कालेज, अस्पताल रांची, बंगाल में कृष्णा नगर विद्यालय, अल्मोड़ा के टीबी सेनेटोरियम आदि को सतत वित्त पोषण करते रहे। लखनऊ के कालीबाड़ी ट्रस्ट, बंगाली क्लब, हारिसभा संस्था के सहयोगी रहे। वह अखिल भारतीय बंग साहित्य सम्मेलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी थे। उन्नीस सौ अड़तीस में विद्यांत कालेज में उन्होंने वार्षिक दुर्गा पूजा का आयोजन शुरू किया। आज इसकी प्रसिद्धि दूर दूर तक है।
विद्यांत में संस्थापक दिवस
विद्यांत हिन्दू पीजी, इंटर कालेज और प्राथमिक स्कूल में संस्थापक दिवस मनाया गया. प्रबन्धक शिवाशीश घोष, प्राचार्य प्रो धर्म कौर,पंकज भट्टाचार्य, उशोषि घोष और प्रबन्ध समिति के सदस्यों, शिक्षक और गैर-शैक्षणिक कर्मचारी द्वारा संस्थापक विक्टर नारायण विद्यांत की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए. इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में साक्षी पत्रिका का लोकार्पण किया गया. इसका संपादन प्रो बृजेश कुमार ने किया. कार्यक्रम का संचालन प्रो राजीव शुक्ला ने किया.
प्रबंधक शिवाशीष घोष ने कहा कि विक्टर नारायण विद्यांत ने समाज के हित में अपनी सम्पूर्ण चल अचल संपत्ति का दान कर दिया था। पांच जनवरी को उनकी जयंती मनाई जाती है। उन्होंने छह शिक्षण संस्थाओं और धर्मार्थ अस्पताल, की स्थापना की थी. विद्यर्थियो को विद्यांत जी जैसे महापुरूषों से प्रेरणा लेनी चाहिए। विद्यांत जी की कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं था। विद्यांत जी राष्ट्रीय स्तर के शिक्षाविद होने के साथ ही,उच्च स्तरीय संगीतिज्ञ थे। उनकी प्रेरणा से कालेज में विगत वर्षों के दौरान अनेक निर्माण कार्य किए गए. जिससे शिक्षण सम्बन्धी संसाधनों को बढ़ाने में सफ़लता मिली है. यहाँ राजर्षि पुरुषोत्तम दास टण्डन मुक्त विश्वविद्यालय का केंद्र भी संचालित हो रहा है.
प्राचार्य प्रो धर्म कौर ने कहा कि शिक्षण संस्थानों में अनुशासन पठन पाठन, खेल-कूद पर विशेष ध्यान दिया जाता है। समय समय पर यहां राष्ट्रीय,प्रादेशिक स्तर की सेमिनार आयोजित की जाती है। अमृत महोत्सव के अंतर्गत शासन द्वारा जितने भी कार्यक्रम आयोजित करने के निर्देश दिए गए थे, उन सभी पर महाविद्यालय में प्रेरणादायक कार्यक्रम हुए. इन सभी कार्यक्रमों में विद्यार्थियों की सहभागिता पर विशेष ध्यान दिया गया. इसके अलावा मतदाता जागरुकता रैली, स्वच्छता अभियान आदि भी निकाली गई थी.