जी के चक्रवर्ती
यदि हम चाहें कि प्रकृति के कोई भी नियम व कानून हम पर लागू ही न हो तो ऐसी दशा में हम सभी तरह के बंधनों से मुक्त हो जाएंगे, तो सोचिये क्या होगा! कहने का अर्थ यह है कि हमारे ऊपर विषय वस्तु जैसे सांसारिक बंधनो से आजादी मिलने की बात हैं, शायद इसी वजह से हमारे बुजुर्गों को अक्सर यह कहते हुए हम सुन सकते है कि इसी धरती पर ही स्वर्ग एवं नर्क हैं इसके अलावा हमारे बुजुर्ग यह भी कहते हैं कि स्वर्ग में दिन, रात एवं कर्म से मुक्त एवं सभी तरह के सांसारिक बंधनों से छुटकारा मिल जाता है और व्यक्ति परमानन्द की प्राप्ति कर लेता है।
शंगरीला घाटी में समय शून्य है:
इसी बात को साबित करती है शंगरीला घाटी जो तिब्बत एवं हिमाचल प्रदेश की सीमा पर स्थित है यदि हम इस स्थानों को देखना चाहे तो शायद बिना किसी तकनीकी सहायता के इस घाटी को नहीं देखना संभव नहीं है। यह घाटी उपरोक्त उल्लेखित 4D के प्रभावों से प्रभावित होने के कारण आज तक यह घाटी वैज्ञानिक खोज के रूप से एक रहस्यमयी स्थान बनी हुई है। इसकी वजह से आज तक इस घाटी के विषय में बहुत कुछ जानकारियां हमारे विज्ञान के पास उपलब्ध नहीं है लेकिन इस घाटी के संबंध में शायद अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए एक प्राचीन पुस्तक ‘काल विज्ञानं’ नाम से पुस्तक को पढ़ने के बाद मिल सकता हैं।
यह पुस्तक तिब्बत के तवांग मठ के पुस्तकालय में आज भी मौजूद हैं लेकिन यह पुस्तक तिब्बती भाषा में लिखी गयी हैं। जानकर लोगों के मतानुसार इस पुस्तक में लिखा है कि तीन आयाम 3D वाली (Three dimensions) की दुनिया की प्रत्येक वस्तु समय, नियति एवं गती से आबद्ध है, अर्थात प्रत्येक वस्तु एक निश्चित स्थान, समय एवं गती के नियमों एवं सिद्धान्त पर काम करती है, लेकिन शंगरीला घाटी में समय शून्य अथवा नगण्य है। हमारे पृथ्वी के सैकड़ो वर्ष वहां का एक सेकेण्ड दोनों बराबर हैं। इस घाटी में हमारे प्राण, मन एवं विचारों की शक्ति एक विशिष्ट सिमा तक बढ़ जाती है। इस घाटी में कोई भी प्राणी अनजाने में पहुँच जाता है तो उसकी दृष्टि में उसकी सत्ता गायब हो जाती है , इसे हम ऐसे भी समझ सकते है कि किसी इंसान के यहाँ पहुँचने पर उस व्यक्ति के जीवन की गति एवं समय दोनों ही रुक जाते हैं और जब वह वहां से पुनः बहार निकल आता है तब तक हमारी दुनिया न जाने कितनी ही सदियां गुजर चुकी होंगी लेकिन शंगरीला घाटी के उस प्राणी का अस्तित्व बना रहकर ठहर जाता है।
पिरामिडो में राजाओं के मृत शरीर को दफनाकर सुरक्षित रखा जाता था:
पिरामिड, अंतरिक्ष से आने वाली काॅस्मिक किरणों को केंद्रित करता है। ( ब्रह्माण्ड किरणें (cosmic ray) अत्यधिक उर्जा वाले कण हैं जो बाहरी अंतरिक्ष में पैदा हो कर छिटक कर पृथ्वी पर आ जाते हैं। यह लगभग 90% ब्रह्माण्ड किरण (कण) प्रोटॉन होते हैं। यह लगभग 10% हिलियम के नाभिक होते हैं, तथा 90% से कम ही भारी तत्व तथा इलेक्ट्रॉन (बीटा मिनस कण) होते हैं।) यह काॅस्मिक ऊर्जा को पिरामिड में संघटित कर इसे एकत्र करता है। इसका प्रभाव आज भी जस की तस बनी हुई है।
आने वाले निकट भविष्य में विज्ञान द्वारा ऐसी ही चकाचौंध कर देने वाली अविष्कार एवं खोजों से हम मानवों के जीवन के स्तर को उच्च कोटि तक पहुंचा कर चमत्कारिक रूप से सुसज्जित कर देंगे।