प्रेरक प्रसंग
एक बार किसी नदी में बड़े जोर में कूदकर अपनी जान देने का साहस की बाढ़ आ गई। पानी इतना बढ़ा कि कौन करें? उस उद्दाम प्रवाह में वह लगा, जलधारा किनारे तोड़ देगी और बच्चा कहीं-का-कहीं पहुंच चुका था। चारों ओर प्रलय मच जायेगी।
समय बड़ी तेजी से गुजर रहा था, संयोग की बात कि एक स्त्री अपने मां बेहाल हो रही थी, किन्तु कोई भी बच्चे को साथ लेकर नदी के तट पर माई का लाल आगे नहीं आ रहा था। गई। बच्चा पानी में जाने के लिए बच्चे के बचने की तनिक भी आशा मचलने लगा। उसने बहुत हाथ-पैर नहीं रही थी। पटके तो स्त्री उसे बहलाने के लिए तभी एक युवक वहां आया और पानी के पास ले गई और उसका एक बिना एक क्षण खोये, बिना कपड़े हाथ पकड़कर उसे पानी में खड़ा कर उतारे, एकदम पानी में कूद पड़ा। दिया। बच्चा खुशी से उछलने लगा लहरों ने उसे निमिष भर में बहुत दूर
और मां का हाथ छुड़ाने के लिए जोर पहुंचा दिया। अपनी जान की बाजी लगाने लगा। अकस्मात हाथ छूट गया लगाकर वह बच्चे की खोज कर रहा
और मां उसे पकड़े कि तबतक बच्चा था। किनारे पर खड़े लोगों के कलेजे पानी में डुबकी खाता हुआ गहरे पानी मुंह को आ रहे थे। में चला गया।मां पर तो जैसे वज्रपात आखिर उस युवक का पुरुषार्थ हो गया। उसके मुंह से एक चीख फलदायी हुआ। बच्चे का हाथ उसके निकली और वह अपने प्यारे बच्चे को हाथ में आ गया और वह उसे लेकर बचाने के लिए चिल्लाने लगी। किनारे पर आ लगा। यह युवक था
देखते-देखते वहां लोगों की भीड़ जार्ज वाशिंगटन, जो आगे चलकर इकट्ठी हो गई, पर उस हुंकारती नदी अमेरिका का प्रथम राष्ट्रपति बना।