अन्धकार जब गहराता चला जाये तो इसकी सघनतम स्थिति के अतिसमीप ही प्रभातकाल की ब्रम्हवेला भी जुड़ी रहती हैं,
श्रवण के माता पिता का श्राप राजा दशरथ को पुत्रप्राप्ति का आगाज था, गर्मी की अतिशय तपन बढ़ चलने पर वर्षा की सम्भावना का अनुमान लगाया जा सकता हैं और सार्थक भी होता है
चारों ओर झुलस गयी धरती हरियाली के कवच से भर जाती हैं मानो एक अप्रत्याशित चमत्कार-सा हुआ हो दीपक जब बुझने को होता हैं तो उसकी लौ जोर-जोर से चमकती हैं लपलपाने लगती हैं, मरण की वेला अतिनिकट होने पर भी रोगी में हलकी-सी चेतना अवश्य लौट आती हैं और वह असामान्य रुप से लम्बी-लम्बी सॉंसे लेने लगता हैं
सभी जानते हैं कि मृत्यु की वेला समीप आ गयी…इसी तरह जीवन में सुख और दुःख आते हैं दुःख हमेशा सुख का आगाज देता है इसलिए बुद्धिमान मनुष्य को दुःख से घबड़ाना नहीं चाहिए बल्कि उनका मुकाबला करना चाहिए…
- अजीत कुमार सिंह