बाराबंकी जिले में आने वाले कस्बे सतरिख के एक गांव सराय पासंडा के पास जंगल के पास एक तालाब में दो गोह ने काफी देर तक दंगल किया, जिसे देखने वालों की भीड लग गयी। वह दोनों लड़ने में इतना मशगूल थे कि उन्हें आसपास की भीड़ का अंदाजा भी न था वे दोनों लड़ते हुए कभी तालाब के पानी में गिरते तो कभी वह पानी से बाहर आकर जमीन पर भी लड़ते , इस प्रकार काफी देर तक लड़ने के बाद वह दोनों पास की झाड़ी में गुम हो गए।
एक तथ्य यह भी :
वैसे आज कल आधुनिकता के दायरे ने हमारे शहरों के इर्दगिर्द 20 से 40 किलोमीटर के दायरे तक आबादी के फैल जाने से वन या जंगल नाममात्र के रह गए हैं। लेकिन जब हम लखनऊ से मात्र 39 किलोमीटर पर जिला बाराबंकी जिले में आने वाला एक कस्बे के सतरिख के अंतर्गत आने वाले वैसे तो अनेकों गांव लेकिन जब हम उनमें से एक गांव सराय पासंडा की बात करते हैं तो इस गांव सराय पसंडा पंचायत क्षेत्र के कुछ इलाका जंगल से घिरा है वैसे हमारे ग्रामीण क्षेत्रों में गोह अक्सर देखने को मिल जाते हैं। गोह नाम का यह जीव सरीसृपों के स्क्वामेटा गण के वैरानिडी कुल का एक जीव हैं जिसका शारीरिक बनावट छिपकली की तरह होता है, परंतु यह जीव उससे आकर में बहुत बड़े -बड़े होते हैं।
गोह छिपकिलियों के निकट संबंधी हैं, जो अफ्रीका, आस्ट्रेलिया, अरब और एशिया आदि देशों में फैले हुए हैं। ये छोटे-बड़े सभी प्रकार के होते हैं, एवं इनमें से कुछ की लंबाई तो 10 फुट तक हो सकती है। इनका रंग प्राय: भूरा होता है और शरीर छोटे-छोटे शल्कों से भरा होता है। इनकी जीभ साँप की तरह दुफंकी, पंजे मज़बूत, दुम चपटी और शरीर गोलाकार लिए होता है। इनमें से कुछ गोह अत्यधिक जहरिले होते हैं लेकिन कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि गोह की कुछ प्रजातियां ही जहरीली होती हैं। सभी गोह जहरीले नहीं होते। गोह के काटने से उसका जहर शरीर में फैलकर तंत्रिका तत्र, श्वसन तंत्र एवम मांसपेशियों व हृदय को प्रभावित करता है जिससे व्यक्ति की मृत्यु तक हो सकती है।